सर्दी में बुला रहे है बच्चों को स्कूल तो क्यों दिए गए है बच्चों को टैबलेट, अभिभावक का गुस्सा फूटा स्कूल के प्रति

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 सर्दी में बुला रहे है बच्चों को स्कूल तो क्यों दिए गए है बच्चों को टैबलेट, अभिभावक का गुस्सा फूटा स्कूल के प्रति

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली समेत एनसीआर में कड़ाके की सर्दी पड़ रही है। तापमान लगातार गिर रहा है। इस हालात में ज्यादातर राज्यों के स्कूलों में शीतकालीन अवकाश घोषित कर दिया गया है। यहां तक कि दिल्ली और हरियाणा जैसे राज्यों ने भी 1 से 15 जनवरी तक शीतकालीन अवकाश घोषित किया है। हालांकि, न केवल दिल्ली – एनसीआर में बल्कि कई राज्यों में बोर्ड परीक्षा को देखते हुए 10वीं और 12वीं कक्षा के बच्चों को स्कूल बुलाया जा रहा है तथा अतिरिक्त कक्षाओं का आयोजन किया जा रहा है।

बच्चों के स्कूल बुलाने पर विरोध

सर्दी में बुला रहे है बच्चों को स्कूल तो क्यों दिए गए है बच्चों को टैबलेट, अभिभावक का गुस्सा फूटा स्कूल के प्रति

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक हरियाणा और दिल्ली में चल रहे स्कूलों को लेकर अभिभावक संगठन अभिभावक एकता मंच ने इस सर्दी में 10वीं और 12वीं के छात्रों को स्कूल बुलाने का विरोध किया है। फोरम ने मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री से मांग की है कि शिक्षा विभाग के इस आदेश को तत्काल वापस लिया जाए। अभी तक ऑनलाइन पढ़ाई हो रही है तो इस कड़ाके की सर्दी में क्यों नहीं हो सकती।

बच्चों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है

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वहीं मंच के प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा व प्रदेश संरक्षक सुभाष लांबा ने कहा है कि हर साल सभी स्कूलों में एक जनवरी से 15 जनवरी तक शीतकालीन अवकाश रहता है। कड़ाके की सर्दी और कोहरे को ध्यान में रखते हुए इन छुट्टियों को छात्रों और शिक्षकों के हित में किया जाता है।

सरकार ने इस बार इन छुट्टियों में 10वीं और 12वीं की कक्षाएं आयोजित करने का पत्र जारी किया है। जिससे 10वीं व 12वीं के छात्र व उन्हें पढ़ाने वाले शिक्षक इस कड़ाके की सर्दी में स्कूल जा रहे हैं। इस दौरान इन सभी को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है और ये बीमार हो रहे हैं।

बच्चों को किस लिए दिए गए टैबलेट?

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वहीं दूसरी तरफ़ सरकार का कहना है कि बोर्ड परीक्षाओं में छात्रों के परीक्षा परिणाम में सुधार के लिए ऐसा किया गया है। इस पर मंच का कहना है कि जब 10वीं और 12वीं के बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई के लिए टेबलेट दे दिए गए हैं और शिक्षक घर पर रहने को तैयार हैं तो छात्रों और शिक्षकों को स्कूल जाने के लिए क्यों मजबूर किया जा रहा है। सरकार को इस आदेश को तुरंत वापस लेना चाहिए।

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