36वां सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प मेला पिछले वर्षों की तुलना में विशाल होगा। मेला परिसर का क्षेत्रफल करीब पांच एकड़ बढ़ाया गया। पिछले साल यह 45 एकड़ में फैला था, जो अब 50 एकड़ में फैला होगा। साथ ही दिल्ली प्रवेश द्वार के बाहर झूला क्षेत्र में 202 नई झोपड़ियां तैयार की जा रही हैं। मेला परिसर में अब 1359 झोपड़ियां बनेंगी। मेले के लिए अतिरिक्त पार्किंग स्थल भी तय किए जा रहे हैं। विस्तारित मेला परिसर को देखते हुए विदेशी कोने का दायरा भी बढ़ेगा और थीम स्टेट का दायरा भी बढ़ेगा।
स्टेट थीम ऐसी करेंगे अपने कला का प्रदर्शन
मेले में इस बार ज्यादा देश हिस्सा ले रहे हैं और एक थीम स्टेट की जगह नॉर्थ ईस्ट के आठ राज्य तय किए गए हैं। इनमें असम, सिक्किम, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा शामिल हैं। थीम राज्यों का एक ही जोन होगा जहां इन राज्यों के कारीगर अपनी कला का प्रदर्शन कर सकते हैं। मेला प्राधिकरण के अधिकारियों का दावा है कि समय से सारी तैयारियां पूरी कर ली जाएंगी।
पांच प्रवेश द्वार तैयार किए जा रहे हैं
मेला परिसर में प्रवेश के लिए थीम राज्यों की लोक कला संस्कृति से ओत-प्रोत पांच प्रवेश द्वार तैयार किए जा रहे हैं। सभी पांच प्रवेश द्वारों पर उत्तर पूर्वी राज्यों की संस्कृति को प्रदर्शित किया जाएगा। पूर्वोत्तर राज्यों के 100 से अधिक राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता कारीगर मेला परिसर में अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे।
कंट्री पार्टनर के रूप में ये देश होगे शामिल
मेला प्राधिकरण के पदाधिकारियों का कहना है कि इस बार शंघाई देशों को मेले का भागीदार देश बनाया गया है। इनमें कजाकिस्तान, चीन, रूस, उज्बेकिस्तान, आर्मेनिया, तुर्की, कंबोडिया और यूएई के अलावा किर्गिस्तान, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान, अफगानिस्तान,
मुख्य चौपाल का स्वरूप बदलेगा
मेला परिसर में मुख्य चौपाल की सूरत बदल जाएगी। इसका विस्तार किया गया है और दर्शकों की क्षमता को बढ़ाकर एक हजार दर्शकों तक कर दिया गया है। मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए मुख्य चौपाल के अलावा लोक कलाकारों के लिए एक और छोटी चौपाल भी तैयार की जाएगी।