राज्य के स्वास्थ्य मंत्री और जिला उपायुक्त की फटकार का असर स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर देखने को मिला है। लिंगानुपात सुधरा है और दिसंबर में बढ़कर 909 हो गया है। लिंगानुपात को लेकर पिछले तीन माह से लगातार अधिकारियों की क्लास चल रही थी। फटकार के बाद अधिकारियों ने इसे गंभीरता से लिया और अब जारी मासिक रिपोर्ट में हमारा जिला प्रदेश की टॉप-10 सूची में शामिल है।
उत्तर प्रदेश के जिले हैं परेशानी की वजह
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक औद्योगिक जिला दिल्ली और उत्तर प्रदेश के सबसे करीब है। पीएनडीटी की सख्ती के चलते यहां फाइटोस्कोपी न के बराबर है, लेकिन उत्तर प्रदेश के पिलखुवा, शिकोहाबाद, हापुड़ जैसे कई जिलों के दूरदराज इलाकों में फाइटोस्कोपी का काम जोरों पर है और स्वास्थ्य अधिकारियों के लिए यह एक बड़ी चुनौती है। इन जिलों में भ्रूण जांच के लिए पलवल, गुरुग्राम, पानीपत, सोनीपत और करनाल तक के लोग आते हैं।
लिंगानुपात में सुधार हुआ है
पीएनडीटी के नोडल अधिकारी डॉ. मान सिंह ने बताया तीन महीने पहले की तुलना में दिसंबर में लिंगानुपात में सुधार हुआ है। अब हम राज्य में अपनी स्थिति सुधारने की कोशिश कर रहे हैं। इसके लिए जिला उपायुक्त विक्रम सिंह के मार्गदर्शन में मेडिकल स्टोर व अल्ट्रासाउंड केंद्रों पर छापेमारी की जा रही है। फरवरी में प्रदेश में प्रथम आने का संकल्प लिया है। इसके लिए छापेमारी का दायरा और बढ़ाया जाएगा।
अल्ट्रासाउंड केंद्रों पर और छापेमारी बढ़ाई जाए
गौरतलब है की स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने सोमवार देर शाम वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से राज्य में चल रही विभिन्न योजनाओं की समीक्षा बैठक की। इस दौरान उन्होंने लिंगानुपात बढ़ाने पर जोर दिया, उन्होंने कहा कि लिंगानुपात बढ़ाने के लिए अल्ट्रासाउंड केंद्रों पर छापेमारी अभियान तेज किया जाए।
वर्तमान में जिले में प्रति हजार लड़कों पर लड़कियों की संख्या 896 है। इसे बढ़ाने के लिए विभाग को छापेमारी अभियान तेज करना होगा। इसके लिए टीम को हर तरह का सहयोग दिया जाएगा। साथ ही प्रसव के दौरान होने वाली मृत्यु दर को कम करने के निर्देश दिए हैं।