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बसंत नवरात्रे में कालीबाड़ी में बंगाली छटा और धुनुची नृत्य बना आकर्षण का केंद्र

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Faridabad: शहर के विभिन्न मंदिरों में नवरात्रे का अंतिम दिन और रामनवमी धूमधाम से मनाया गया। जगह- जगह भंडारे के अयोजन के साथ साथ शहर भर में शोभा यात्रा निकाली गई। जिससे सारा वातावरण भक्तिमय हो गया। वहीं, दूसरी ओर सेक्टर -16 स्थित कालीबाड़ी मंदिर में पश्चिम बंगाल की दुर्गा पूजा का  स्वरूप देखने को मिला। यहां बसंत नवरात्रों के दौरान बंगाल की तर्ज पर पूजन व सांस्कृतिक कार्यक्रमों का धूम धाम से आयोजन किया जाता है।

बसंत नवरात्रे में कालीबाड़ी में बंगाली छटा और धुनुची नृत्य बना आकर्षण का केंद्र

दरअसल, कोलकाता की तर्ज पर कालीबाड़ी में मां दुर्गा के महिषासुर मर्दिनी स्वरूप को पूजा जाता है।कालीबाड़ी मंदिर में संध्या आरती का खास महत्व होता है। बंगाली पारंपरिक परिधानों में सज-धजकर भक्त मां की आराधना करते हैं। प्रतिदिन होने वाली संध्या आरती में बंगाली नृत्य, संगीत, ढाक व काशोर से वातावरण भक्तिमय हो जाता है।

बसंत नवरात्रे में कालीबाड़ी में बंगाली छटा और धुनुची नृत्य बना आकर्षण का केंद्र

कोलकाता की दुर्गा पूजा जैसा माहौल कालीबाड़ी मंदिर में ढाक की धमक के साथ देखने को मिलता है। महिलाएं और पुरुष पारंपरिक वेशभूषा में नृत्य कर मां के भजनों का गुणगान करते हैं। वहीं, सेक्टर-16 के कालीबाड़ी में फरीदाबाद जिले में रहने वाले सभी बंगाली लोग दूर दूर से दुगा मां की पूजा अर्चना के लिए पहुंचते है।

बसंत नवरात्रे में कालीबाड़ी में बंगाली छटा और धुनुची नृत्य बना आकर्षण का केंद्र

वहीं, कालीबाड़ी मंदिर के सेवक ए.के पंडित ने बताया कि हर वर्ष की तरह कालीबाड़ी मंदिर में मां की आरती के बाद महिला और पुरुष पारंपरिक धुनुची नृत्य करते है। भक्तों के मुताबिक धुनुची शक्ति नृत्य है। इसको मां भवानी की शक्ति और ऊर्जा बढ़ाने के लिए किया जाता है। एक बड़े दीपक में नारियल की जटा और हवन सामग्री को रखकर मां की आरती नृत्य स्वरूप में उतारी जाती है। इसके अलावा ए.के पंडित ने बताया कि कालीबाड़ी मंदिर ने हमेशा जरूरत मंद लोगों की मदद करने के साथ जिला प्रशासन के कार्य में भी सहयोग करता आया है।


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