एनवायरनमेंट के लिए काम कर रही अरावली बचाओ संस्था के दो युवाओं ने स्वदेशी एसटीपी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) बनाया है। वहीं दावा किया जा रहा है कि इस एसटीपी से ट्रीटेड पानी का इस्तेमाल पार्कों में सिंचाई के लिए किया जा सकता है। यह एसटीपी सैनिक कॉलोनी में गेट नंबर तीन के पास खाली पड़े ग्रीन बेल्ट में बनाया गया है। रोजाना छह हजार लीटर सीवर का पानी ट्रीट किया जा रहा है। अरावली बचाओ संस्था के सदस्यों ने बताया कि नगर निगम भी इस तकनीक को अपने पार्कों में बना सकता है। इसकी खास बात यह है कि यह बिल्कुल प्राकृतिक तरीके से पानी को ट्रीट करता है।
यह कैसे काम करता हैं?
वहीं इस संस्था के सदस्य राजू रावत व जगमोहन यादव ने बताया कि निगम की मुख्य सीवर लाइन के पास पानी का कनेक्शन तैयार किया गया था। जहां से सीवर का पानी सीधे एसटीपी में प्रवेश करता है, उन्होंने बताया कि 50 मीटर तक नाला बना दिया गया है। इस नाले को टेढ़ा बनाया गया था, ताकि पानी बह सके। सबसे पहले पत्थरों के बीच से पानी गुजारा जाता है, क्योंकि पत्थर में कई तरह के मिनरल्स होते हैं, जो खराब तत्वों को सोख लेते हैं और उन्हें साफ कर देते हैं। इसके बाद रोड़ी और बजरी भी बीच में डाल दी जाती है।
खराब पानी को निकाला जाता हैं
इसके अंदर से खराब पानी भी निकल जाता है। अंत में पानी को चारकोल से गुजारा जाता है और फिर पानी को एक टैंकर में इकट्ठा किया जाता है। चारकोल पानी के बीओडी (बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड) और सीओडी (केमिकल ऑक्सीजन डिमांड) को कम करता है। पहले टैंक का पानी दूसरे टैंक में जाता है, जिसमें नारियल के गोले डाले जाते हैं। नारियल का छिलका भी पानी को शुद्ध करता है। इसके बाद पानी आखिरी टंकी में जाता है जहां से सिंचाई के लिए पानी का उपयोग किया जाता है। इस एसटीपी का परीक्षण किया जा चुका है। यह सफल है। इस तकनीक से रोजाना 6 हजार लीटर सीवर के पानी को ट्रीट किया जा रहा है।