विभागों के अधिकारियों में तालमेल नहीं होने से सरकार के खजाने में सेंध लगी है। अत्यधिक वेतन पाने वाले इंजीनियरों की लापरवाही का ताजा उदाहरण बल्लभगढ़-तिगांव मुख्य मार्ग पर सामने आया है, जहां 500 करोड़ रुपये की लागत से पांच किलोमीटर लाइन बिछाई गई है। मुख्यमंत्री की घोषणा के तहत इस सड़क का चौड़ीकरण किया जाना है, जिससे सड़क के बीच में लाइन आ जाएगी। लाइन को नुकसान न हो इसके लिए इसे शिफ्ट किया जाएगा, जिस पर अनुमानित एक करोड़ रुपए खर्च होंगे। जनता पूछ रही है कि इस लाइन को शिफ्ट करने के एवज में करीब एक करोड़ रुपए का खर्च किस अधिकारी की जेब से वसूला जाएगा। हैरानी की बात यह है कि अधिकारियों ने मुख्यमंत्री की घोषणा पर भी ध्यान नहीं दिया।
यह लाइन आम सीवर लाइन से अलग है
वहीं बल्लभगढ़-तिगांव मुख्य मार्ग पर तिगांव से मिर्जापुर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट तक करीब पांच किलोमीटर सीवर लाइन बिछाई गई है। पाइपलाइन की मोटाई 16 इंच है। यह सड़क से करीब ढाई फुट नीचे है। इसमें विभिन्न स्थानों पर प्रेशर वॉल्व लगे होते हैं। जहां से प्रेशर देकर जाम लाइन को खोला जा सके। यही वजह है कि इतनी लंबी लाइन में एक भी मैनहोल नहीं है। इस लाइन को सड़क के नीचे नहीं गिराया जा सकता है। भारी वाहनों की आवाजाही से लाइन टूटने का खतरा बना रहता है। पांच किलोमीटर लाइन बिछाने में करीब दो करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं।
दो विभागों के अधिकारियों ने ध्यान नहीं दिया
गौरतलब हैं कि सीवर लाइन डालने की जिम्मेदारी स्वच्छ जल आपूर्ति एवं अभियांत्रिकी विभाग की है। जब कि बल्लभगढ़-तिगांव सड़क लोक निर्माण विभाग के अंतर्गत आती है। सीवर लाइन डालने से पहले स्वच्छ जल आपूर्ति एवं अभियांत्रिकी विभाग ने लोक निर्माण विभाग से एनओसी ले ली थी। उस दौरान लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों ने यह नहीं देखा कि लाइन कहां और कैसे डाली जा रही है। जबकि उस समय मुख्यमंत्री मनोहर लाल इस सड़क को चौड़ा करने की घोषणा पहले ही कर चुके थे। इसके बावजूद मामले को गंभीरता से नहीं लिया गया। अब इस सड़क को सील करने की योजना तैयार की जा रही है। यहां पहले से खींची गई लाइन को हटा दिया जाएगा।