बाईपास रोड पर दिल्ली-वडोदरा-मुंबई एक्सप्रेसवे लिंक रोड के निर्माण कार्य के कारण गिरे पेड़ों को बदलने के लिए हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (HSVP) को 18 किलोमीटर की ग्रीनबेल्ट में 5 करोड़ रुपये के पेड़ लगाने थे। ये पौधे कहां लगाए गए इसका जवाब किसी अधिकारी के पास नहीं है। आशंका है कि पौधे लगाने के नाम पर कही करोड़ों का घोटाला तो नही हुआ है। हाल ही में फरीदाबाद मेट्रोपॉलिटन डेवलपमेंट अथॉरिटी (FMDA) के तत्कालीन CEO सुधीर राजपाल ने इस संबंध में अफसरों से सवाल पूछा कि पांच करोड़ रुपये के पौधे कहां लगे हैं? तो असंतोष जवाब सुनने को मिले। अधिकारियों को जांच कर मामले की रिपोर्ट पेश करने को कहा था, लेकिन अब कोई भी अधिकारी इस बारे में बात करने को राजी नहीं है।
सराय ख्वाजा से शुरू होकर बाइपास सड़क बल्लभगढ़ होते हुए राष्ट्रीय राजमार्ग कैली तक जाती है, यहां डेढ़ साल से एक्सप्रेस-वे लिंक रोड बनाने का काम चल रहा है। इसी दौरान बायपास के 18 किमी के दायरे में ग्रीनबेल्ट से सैकड़ों पेड़ काटे गए थे। अब नियमों के अनुसार जो भी एजेंसी पेड़ काटती है, उसमें एक पेड़ की जगह 10 गुना ज्यादा पेड़ लगाने का प्रावधान है। इसको लेकर भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने 5 करोड़ रुपये की राशि HSVP को सौप दी थी, ताकि इस पैसे से फिर से पौधे लगाए जा सके।
फरीदाबाद महानगर विकास प्राधिकरण की बैठक में एचएसवीपी के अधिकारी पौधे लगाने की बात कह चुके हैं, लेकिन धरातल पर हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। बता दे, सराय ख्वाजा से नेशनल हाईवे कैली बायपास पर कुल 18 किलोमीटर तक ग्रीनबेल्ट पैच बनाया गया है। कुछ हिस्सों में एक्सप्रेस-वे लिंक रोड का काम भी चल रहा है। इसी दौरान देखने पर पता चला की ग्रीनबेल्ट में पौधे नहीं लगे है। पौधारोपण कर फेंसिंग भी की जानी थी, लेकिन यह भी बाइपास पर नजर नहीं आई।
मामले में जब एफएमडीए के पर्यावरण विंग के अधिकारी सुभाष यादव से पूछताछ की गई तो उन्होंने कहा कि सीईओ ने इस बारे में पता लगाने का आदेश दिया है। अब मौके पर जाकर देखा जाएगा कि कहां पौधे रोपे गए हैं। उनकी रिपोर्ट बैठक में रखी जाएगी। जब हमने एचएसवीपी की प्रशासक डॉ. गरिमा मित्तल से बात की तो उन्होंने कहा कि उन्हें इस बारे में कुछ नहीं पता। उन्हें इस प्रोजेक्ट की फाइल भी नहीं मिली है। उन्होंने कहा कि आप एसई से बात करें। जब एसई संदीप दहिया को बुलाया गया तो उन्होंने कहा कि उनका इस प्रोजेक्ट से कोई लेना देना नहीं है। आप EXEN हॉर्टिकल्चर से बात करें। जब एक्सईएन अश्विनी गौर से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि आप इस बारे में एसडीओ से बात करें।
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