औद्योगिक जिले के पहलवानों को मिट्टी में अभ्यास कराने के उद्देश्य से तैयार किया गया अखाड़ा प्लान शायद मिट्टी में मिल रहा है। कुश्ती कोच अश्विनी शर्मा के तबादले के बाद अखाड़ा बनाने का काम भी ठप हो गया है। दो महीने से उनके स्थान पर कोई नई कुश्ती नियुक्ति नहीं की गई है। ऐसे में जिले के युवाओं का योगेश्वर दत्त, रवि दहिया जैसे ओलंपिक पदक विजेता पहलवान बनने का सपना कोचों की कमी के कारण टूटता नजर आ रहा है।
एक अखाड़ा बनाने के लिए प्रयुक्त सामग्री
बता दे कि कुश्ती कोच अश्विनी शर्मा के आने के बाद कुश्ती खिलाड़ियों को अभ्यास के लिए अनुकूल माहौल मिल रहा था। कुश्ती मिट्टी का खेल है। इस वजह से उन्होंने करीब दो महीने पहले राजकीय खेल परिसर में मिट्टी के अखाड़े का निर्माण शुरू किया था, लेकिन अभी तक अखाड़ा पूरा नहीं हो सका, जबकि दावा किया जा रहा था कि एक सप्ताह में अखाड़ा बनकर तैयार हो जाएगा। अखाड़े को बनाने में दूध, दही, घी, सिंदूर समेत कई चीजों का इस्तेमाल किया जाना था। अखाड़े को नर्म बनाने के लिए खेतों से मिट्टी लाई गई थी। अखाड़ा बनाने से पहले भूमि पूजन भी किया गया। फिर काम शुरू नहीं हो सका।
कोच का इंतजार
आपको बता दे कि खेल निदेशालय ने अश्वनी शर्मा का पंचकूला तबादला कर दिया है। उनके बाद किसी नए कोच की नियुक्ति नहीं की गई है। उनके जाने के बाद राज्य खेल परिसर में चल रहे कुश्ती केंद्र को बंद कर दिया गया है और खिलाड़ियों का आना भी बंद हो गया है। इससे उन युवाओं को नुकसान हो रहा है जो वास्तव में पहलवान बनना चाहते हैं। जिला खेल पदाधिकारी देवेंद्र सिंह गुलिया ने बताया कि अश्विनी शर्मा के तबादले के बाद कोच की नियुक्ति के लिए पत्र लिखा गया था। माता-पिता मिलकर अखाड़ा तैयार करवा रहे थे। इसका खेल विभाग से कोई लेना देना नहीं है।