भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण राष्ट्रीय राजमार्ग के रेलवे पुल के बराबर नहीं है। (एनएचएआई) के ऊपर एक ऐतिहासिक छतरी बनी है। हाईवे बनाते समय एनएचएआई ने इस छतरी को नहीं तोड़ा, लेकिन रखरखाव के अभाव में यह ऐतिहासिक छतरी अब जर्जर होती जा रही है। यदि इसके संरक्षण के उपाय नहीं किए गए तो यह कुछ ही दिनों में पूरी तरह से समाप्त हो जाएगा। हालत यह है कि यहां बकरे बांधे जा रहे हैं।
छतरी में बंधी बकरियां
बता दे कि बल्लभगढ़ रियासत की स्थापना 1607 में राजा बल्लू उर्फ बलराम ने की थी। शत्रुओं पर नजर रखने के लिए उसने किले के दक्षिण-पश्चिम में एक छत्री का निर्माण करवाया था। इस छत्री के पास ही कोस मीनार है। मुगल कोस मीनारों के माध्यम से दिल्ली और आगरा के बीच व्यापार करते थे। उसकी सेना का अक्सर यहाँ से आना-जाना लगा रहता था। मुगल सैनिक कभी भी व्यापार के बहाने महल पर हमला न करें, इसलिए राजा इस छतरी के अंदर सैनिकों की एक टुकड़ी रखते थे, यहां से आने-जाने वाले लश्करों पर नजर रखी जाती थी।
इस छतरी से लेकर रानी की छतरी तक अंदर एक गुफा भी है। सैनिकों की आवाजाही इसी गुफा के अंदर से होती थी। अब इस छतरी के अंदर कुछ लोग रहते हैं, उन्होंने यहां बकरियां भी पाली हैं। प्रशासन व पुरातत्व विभाग इस छतरी की ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। जर्जर हालत में यह कभी भी गिर सकता है। अगर इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो यह पूरी तरह से गिर जाएगी।