पहले मिली असफलता और अंतिम प्रयास में हासिल करी 65वी रैंक, हौसलों से जीती मंजिल

0
827
 पहले मिली असफलता और अंतिम प्रयास में हासिल करी 65वी रैंक, हौसलों से जीती मंजिल

जिले में डीटीपी के पद पर तैनात और हाल ही में फरीदाबाद महानगर विकास प्राधिकरण से सेवानिवृत्त हुए राजेंद्र शर्मा के भतीजे प्रांशु शर्मा चीफ इंजीनियर विजय शर्मा ने यूपीएससी परीक्षा में 65वीं रैंक हासिल कर अपने परिजनों के चेहरे पर मुस्कान ला दी है। प्रांशु शर्मा को मूलचंद शर्मा के साले का बेटा बताया है। प्रांशु को इतनी बड़ी सफलता तो नहीं मिली, लेकिन इसके लिए उन्होंने पांच साल तक कड़ी मेहनत की। असफलताओं का भी सामना किया, लेकिन हिम्मत नहीं हारी और निराश नहीं हुए। बस कोशिश करते रहे और आखिरकार छठे और आखिरी प्रयास में 65वीं रैंक के साथ परीक्षा पास कर सफलता हासिल की।

 

2017 में पास करी थी यूपीएससी परीक्षा

पहले मिली असफलता और अंतिम प्रयास में हासिल करी 65वी रैंक, हौसलों से जीती मंजिल

बता दे कि प्रांशु का परिवार अब गुरुग्राम में रहता है। उन्होंने ट्राई सिटी, चंडीगढ़ से 10वीं की परीक्षा टॉपर के रूप में पास की और 12वीं की पढ़ाई डीपीएस आरके पुरम से की। फिर बिट्स हैदराबाद से सिविल इंजीनियरिंग की, लेकिन प्रांशु आईएएस अफसर बनना चाहता था। इसके लिए उन्होंने यूपीएससी की तैयारी की। प्रांशु ने 2017 में पहले प्रयास में यूपीएससी की परीक्षा पास की थी, लेकिन तब उनकी रैंक 448वीं थी। इस रैंक से प्रांशु को रेलवे में लेखा शाखा में अच्छी पोस्टिंग मिली, लेकिन आईएएस या आईएफएस अधिकारी के रूप में देश की सेवा करने की इच्छा उनके मन में बनी रही।

 

आईएफएस अधिकारी या आईएएस अधिकारी बनने का था सपना

पहले मिली असफलता और अंतिम प्रयास में हासिल करी 65वी रैंक, हौसलों से जीती मंजिल

वहीं निराश होने के बजाय प्रांशु ने नौकरी के साथ-साथ अपनी पढ़ाई जारी रखी और अगले साल फिर से यूपीएससी की परीक्षा दी। यूपीएससी में क्वालीफाई करने के लिए छह मौके मिलते हैं। अब उनके पास आखिरी मौका 2022 में था। इस बार प्रांशु ने असफलताओं के भंवर से निकलकर सफलता की नई कहानी अपने नाम लिखी और मंगलवार की तैयारी की। प्रांशु ने 2017 में पहले प्रयास में यूपीएससी की परीक्षा पास की थी, लेकिन तब उनकी रैंक 448वीं थी। इस रैंक से प्रांशु को रेलवे में लेखा शाखा में अच्छी पोस्टिंग मिली, लेकिन आईएएस या आईएफएस अधिकारी के रूप में देश की सेवा करने की इच्छा उनके मन में बनी रही। खैर, निराश होने के बजाय, प्रांशु ने नौकरी के साथ-साथ अपनी पढ़ाई जारी रखी और अगले साल फिर से यूपीएससी की परीक्षा दी। यूपीएससी में क्वालीफाई करने के लिए छह मौके मिलते हैं। अब उनके पास आखिरी मौका 2022 में था। इस बार असफलताओं के भंवर से निकलकर प्रांशु ने अपने लिए सफलता की नई कहानी रची और मंगलवार को जब नतीजा आया तो सफल अभ्यर्थियों की सूची में प्रांशु 65वें नंबर पर थे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here