हर माह होने वाली सड़क सुरक्षा समिति की बैठक गुरुवार को होगी। हर माह प्रशासनिक अधिकारी बैठक कर रहे हैं लेकिन कोई समाधान नहीं निकल रहा है। बैठक में मुद्दे तो उठते हैं, लेकिन संबंधित विभाग के अधिकारी उन्हें गंभीरता से नहीं लेते। इस वजह से बैठक से कोई सकारात्मक नतीजा नहीं निकल रहा है। बैठक में सड़क सुरक्षा को लेकर बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं, लेकिन हकीकत सबके सामने है। कई बार यह भी चर्चा होती है कि हर बार बैठक में विभागीय अधिकारी व कर्मचारी बदल जाते हैं। नए कर्मचारी व अधिकारी को नहीं पता कि पिछली बैठक में क्या हुआ था। इसलिए वे अद्यतन जानकारी प्रदान करने में सक्षम नहीं हैं।
इसलिए बैठक जरूरी है
बता दे कि बैठक का उद्देश्य सड़कों पर चलने वाले चालकों के लिए आवश्यक सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा करना है। इस बैठक में जो मुद्दे किसी भी विभाग में दिखाई दे रहे हैं उन्हें उठाया जाता है। यानी जिन कमियों की वजह से हादसे हो रहे हैं, उन्हीं पर फोकस किया जा रहा है। जिला उपायुक्त संबंधित विभाग के नोडल अधिकारी को कमियों को दूर करने के निर्देश देते हैं। निजी संस्थानों के अधिकारी भी अपने सुझाव रखते हैं। बैठक के लिए एनएचएआई के अलावा जिले में जिला उपायुक्त, अपर उपायुक्त नगर निगम, एचएसवीपी, लोक निर्माण। विभाग, पुलिस विभाग सहित अन्य विभिन्न विभागों से नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए हैं। रोड सेफ्टी ओमनी फाउंडेशन के संस्थापक और हरियाणा राज्य सड़क सुरक्षा परिषद के सदस्य सरदार देवेंद्र सिंह इसके सदस्य हैं।
ये मुद्दे हर बार सामने आते हैं
जलजमाव, सीवर जाम, जर्जर सर्विस रोड, सड़कों पर अंधेरा, जेब्रा क्रॉसिंग नदारद, हाईवे व सड़क किनारे अतिक्रमण, सड़क पर गलत दिशा में चलने वाले वाहनों पर सख्ती, सड़कों पर बेसहारा पशु, फुटपाथ पर अतिक्रमण, हाइवे पर टूटी ग्रिल और वहां अवैध कट लगाए गए हैं। उधर, हरियाणा राज्य सड़क सुरक्षा परिषद के सदस्य सरदार देवेंद्र सिंह का कहना है कि बैठक का मकसद साबित नहीं हो रहा है। यहां उठाए गए मुद्दों को संबंधित विभाग के अधिकारी गंभीरता से नहीं लेते हैं। जिला उपायुक्त को इस संबंध में सख्त कदम उठाना चाहिए। क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकरण के सचिव जितेंद्र गहलावत का कहना है कि बैठक में उठाए गए मुद्दों पर विभागीय अधिकारियों से जवाब मांगा गया है। पिछली बैठक में उठाए गए मुद्दों की समीक्षा की गई। समस्या का समाधान नहीं होने पर लोग परेशान हो जाते हैं।