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प्राइवेट कंपनी ने एक लाख खाली प्लाटों की बनाई प्रापर्टी आई.डी, पूरी जानकारी न होने के कारण नगर निगम परेशान

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शहर की प्रॉपर्टी सर्वे करने वाली कंपनी की गड़बड़ी अभी तक नहीं सुलझी है। प्रॉपर्टी आईडी बनाने में कंपनी द्वारा की गई गलतियों में सुधार करने के बाद भी अब तक दो लाख ऐसे संपत्ति पहचान पत्र सामने आ चुके हैं, जिनमें संपत्ति मालिक का नाम और मोबाइल नंबर गायब है। इसमें एक लाख ऐसी आईडी हैं, जिसमें सर्वे करने वाली कंपनी ने खाली प्लॉट की भी आईडी बना ली है। अब सात लाख से अधिक आईडी तय करने के लिए नगर निगम खुद एजेंसी के माध्यम से मूल्यांकन करवाएगा। इसके लिए नगर निगम ओपन टेंडर कराकर करोड़ों रुपए खर्च करने जा रहा है। संपत्ति पहचान पत्र में त्रुटि के कारण नगर निगम कर वसूली का लक्ष्य पूरा नहीं कर पा रहा है। नगर निगम के चक्कर लगाने से लोग भी परेशान हो रहे हैं।

 

प्राइवेट कंपनी की लापरवाही भुगत रही नगर निगम

प्राइवेट कंपनी ने एक लाख खाली प्लाटों की बनाई प्रापर्टी आई.डी, पूरी जानकारी न होने के कारण नगर निगम परेशान

काम ऐसा है कि निगम कर्मचारी भी परेशान हैं। नगर निगम ने जांच में पाया है कि यशी कंपनी के सर्वे में दो लाख ऐसी आईडी बनाई गई है, जिसमें प्लॉट, कॉलोनी व अन्य जानकारी तो है, लेकिन संपत्ति मालिक का नाम व मोबाइल नंबर नहीं है। ऐसे में निगम को इन प्रापर्टी आईडी को ठीक कराने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इन संपत्ति मालिकों ने अभी तक नगर निगम से संपर्क नहीं किया है। कॉर्पोरेट योजना कि हाउस टैक्स नोटिस असेसमेंट के दौरान ऐसे लोगों की जानकारी भी ली जाए ताकि आईडी में सुधार किया जा सके।

 

मालिक का पता लगाने की पहल

प्राइवेट कंपनी ने एक लाख खाली प्लाटों की बनाई प्रापर्टी आई.डी, पूरी जानकारी न होने के कारण नगर निगम परेशान

ओनर ट्रेसिंग कवायद में मिली अन्य संपत्तियों में नाम, पता और प्लॉट मिसमैच, लेकिन दो लाख संपत्तियों का कोई मालिक नहीं है, इसलिए इन प्रॉपर्टी आईडी की मरम्मत करना आसान नहीं है। ऐसे मकान और प्लॉट की जानकारी लेकर असली मालिक का पता लगाया जाएगा। ZTO के मुताबिक हाउस टैक्स नोटिस बांटने का टेंडर सोमवार को खोला गया है। ऐसे में एजेंसी के कर्मियों की मदद से दो लाख लोगों की जानकारी लेकर संपत्ति पहचान पत्र में सुधार किया जाएगा। यशी कंपनी ने 5.75 लाख नई संपत्ति आईडी बनाई है। इसके अलावा ग्रेटर फरीदाबाद सहित 24 गांवों में करीब 1.54 लाख संपत्ति पहचान पत्र हैं। ऐसे में निगम को सात लाख से अधिक लोगों के घर पहुंचना है।

 

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