मां करती थी मजदूरी, बेटी बनी IAS ऑफिसर, जानिए सफलता की कहानी।

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 मां करती थी मजदूरी, बेटी बनी IAS ऑफिसर, जानिए सफलता की कहानी।

यूपीएससी की परीक्षा दुनिया की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक मानी जाती है। इसे पास करने का सपना तो हर कोई देखता है, लेकिन इसे पास केवल सिर्फ कुछ ही लोग कर पाते हैं या फिर हम कहें जिनकी किस्मत तेज होती है। क्योंकि इसे पास करने के लिए दिन रात एक करना पड़ता है।

अर्जुन यूपीएससी क्या करता है उसे हर विषय का ज्ञान भी होना जरूरी है। अगर कोई यूपीएससी परीक्षा को पास कर लेता है, तो आसपास के इलाके में उसके चर्चा शुरू हो जाती है। साथ ही बता दे। इन में सफल होने वाले उम्मीदवारों को उनकी रैंक के आधार पर IAS, IPS, IFS आदि के पद दिए जाते हैं।

आज मैं आपको एक ऐसी आईपीएस महिला की सफलता की कहानी बताने जा रहे हैं जिसकी कहानी सुनकर आप चौक जायेंगे और वह एक सोशल मीडिया स्टार भी है।

शख्सियत कोई और नहीं बल्कि आईपीएस दिव्यता तंवर है। वर्तमान में वह 2021 के बैच के आईपीएस अधिकारी हैं और वर्तमान में छुट्टी पर है। उन्होंने 2021 में ऑल इंडिया रैंक 438 के साथ संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की परीक्षा पास की और उन्होंने पहले ही अटेंप्ट में 21 साल की उम्र में परीक्षा पास की । ये यूपीएससी परीक्षा के कई उम्मीदवारों के लिए एक मोटिवेशन है और उनके वीडियो अक्सर सोशल मीडिया पर वायरल हो जाते हैं।

मां करती थी मजदूरी, बेटी बनी IAS ऑफिसर, जानिए सफलता की कहानी।

आईपीएस देव यादव और हरियाणा के महेंद्रगढ़ की रहने वाली है। आईपीएल देवे तंवर ने शुरुआत में अपने होम टाउन के सरकारी स्कूल में पढ़ाई की थी, लेकिन बाद में उनका चयन नवोदय विद्यालय महेंद्रगढ़ के लिए हो गया उनके पास बीएससी की डिग्री है और साथ ही ग्रेजुएशन के बाद उन्होंने यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी और लगभग डेढ़ साल की तैयारी के बाद यूपीएससी का पहला अटेंप्ट दिया।

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उनके घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। 2011 में पिता की मौत हो गई थी। उसके बाद परिवार में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। पढ़ाई में होशियार थी और उनकी मां बबीता तंवर का साथ देती है। दिव्या ने किसी भी प्रकार की यूपीएससी के प्रारंभिक परीक्षा पास करने के लिए कोचिंग नहीं ली। साथ ही उन्होंने अपनी यूपीएससी मुख्य परीक्षा की तैयारी के लिए टेस्ट सीरीज समेत अलग-अलग ऑनलाइन सोर्सेस की मदद ली और प्रीलिम्स क्लियर करने के बाद वह यूपीएससी कोचिंग मेंटरशिप प्रोग्राम में शामिल हुए।

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दिव्य के पास इतने पैसे नही थे परंतु उनकी मां ने हमेशा दिव्या का साथ दिया और आगे की पढ़ाई के लिए प्रेरित किया।

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