बल्लभगढ़ शहर का सबसे बड़ा पार्क होगा छोटा, कल्पना चावला सिटी पार्क की जमीन पर है विवाद!

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 बल्लमगढ़ शहर का सबसे बड़ा पार्क होगा छोटा, कल्पना चावला सिटी पार्क की जमीन पर है विवाद! बल्लभगढ़ शहर का सबसे बड़ा पार्क होगा छोटा, कल्पना चावला सिटी पार्क की जमीन पर है विवाद!

हरियाणा पंजाब के हाई कोर्ट ने शहर के सबसे बड़े कल्पना चावला सिटी पार्क को करीब 50000 वर्ग गज जमीन पर भी बिहारीलाल व अन्य को कब्जा देने के आदेश दिए हैं।

जमीन पर मालिकाना हक जताने वाले को फरवरी 2022 में कब्जा भी मिल गया था। परंतु प्रशासन ने चारदीवारी को तोड़ते हुए केस दर्ज कराए। इसके बाद जमीन के मालिक फिर से अदालत में चले गए और अब कब्जा देने के आदेश के बाद पार्क में खेती की जमीन संबंधित पक्ष के पास चली गई है। इसे पार कुछ छोटा हो जाएगा।

बल्लभगढ़ शहर का सबसे बड़ा पार्क होगा छोटा, कल्पना चावला सिटी पार्क की जमीन पर है विवाद!

वहां के निवासी ने बताया कि पार्क की जमीन पर 1981 में ही अहीरवारा निवासी बिहारीलाल आदि ने अपना कब्जा बताया था। नगर निगम ने कब्जा हटाकर यहां पर पार्क विकसित कर दिया था, परंतु बिहारी लाल ने निगम के खिलाफ अदालत में गए और 1991 में अदालत ने जमीन का मालिक बिहारीलाल आदि को बनाया। फैसले के बाद जिला सत्र न्यायाधीश की अदालत में नगर निगम को चुनौती दी गई, जिसमें 1996 में बिहारीलाल निगम के खिलाफ केस जीते और नगर निगम हाईकोर्ट में गया। हाईकोर्ट में भी उन्हें ही मालिक बनाया गया।

वहीं एसडीएम त्रिलोकचंद का कहना है कि प्रशासन के पास अभी किसी भी प्रकार का कोई आदेश नहीं आया है और आदेश आने के बाद ही इस मामले के बारे में कुछ कहा जा सकता है। साथ ही हाईकोर्ट में 30 मई को फरीदाबाद, पुलिस कमिश्नर और डीसी को पार्क की जमीन पर कब्जा दिलाने का आदेश दिया था।

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नगर निगम के हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चली गई, तो सुप्रीम कोर्ट ने 2000 में भी बिहारीलाल के परिवार को जमीन का मालिक घोषित किया था। उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने जिला अदालत को बिहारी लाल के पार्क की जमीन पर कब्जा दिलाने का आदेश दिया। इसके बाद फरीदाबाद की कोर्ट ने नवंबर 2021 में बल्लभगढ़ के तत्कालीन नायब तहसीलदार दिनेश कुमार को नगर निगम की जमीन पर पैमाइश करार दिवार बनवाने का आदेश दिया। जीते हुए पक्ष में चारदीवारी कर दी और मौके पर प्रशासनिक अधिकारियों ने कब्जा दिलाया, लेकिन लोगों ने विरोध चलते हुए चारदीवारी को ढहा दिया गया। इसके बाद लोग फिर हाईकोर्ट में चले गए।

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