फरीदाबाद में जगमग योजना के तहत, गांवों को नहीं मिल रही 24 घंटे की बिजली, जाने पूरी खबर।

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 फरीदाबाद में जगमग योजना के तहत, गांवों को नहीं मिल रही 24 घंटे की बिजली, जाने पूरी खबर।

जिले म्हारा गांव जगमग गांव इस योजना के अंतर्गत आने वाले सभी गांव को भारी बिजली की कटौती से जूझना पड़ रहा है। रोजाना लगभग 12 घंटे की बिजली गुल रहने के बाद लोग बहुत ही परेशान है जिससे सरकार का 24 घंटे बिजली देने का दावा हवा-हवाई साबित हो रहा है।

स्मार्ट सिटी फरीदाबाद में म्हारा गांव जगमग गांव योजना वर्ष 2015 में शुरू हुई थी और यह योजना शुरू होने के बाद शुरुआती दौर में लोगों को कुछ हद तक नियमित रूप से बिजली मिली। परंतु बिजली निगम की ओर से 6 महीने बाद ही अघोषित कटौती शुरू कर दी गई, जो आज तक जारी है। गर्मी में और लंबे कट लगने लगते हैं।

फरीदाबाद में जगमग योजना के तहत, गांवों को नहीं मिल रही 24 घंटे की बिजली, जाने पूरी खबर।

यानी कि गर्मी में लंबे समय तक के लिए बिजली काटी जाती है। साथ ही गांव खेड़ी कला के लोगों ने बताया कि सरकार ने म्हारा गांव जगमग गांव के 24 घंटे तक बिजली की घोषणा की थी। अब जो केवल 10 से 12 ही घंटे मिल रही है, सबसे बड़ी दिक्कत ओवरलोडिंग की समस्या है।

विभाग की ओर से ओवरलोडिंग की समस्या का समाधान करने की बजाय गांव में 2 से 3 घंटे की नियमित रूप से बिजली कट घोषित कर दिए गए हैं। इसके अलावा फाल्ट और ब्रेकडाउन हो जाए, तो उसमें भी अलग बिजली गुल रहती है। पिछले दिनों और बारिश से हुए फॉल्ट के कारण ग्रामीणों को सात घंटे बिजली कट झेलने पड़ रहे हैं। साथ ही इसके समाधान की मांग की तो केवल आश्वासन दिया गया।

फरीदाबाद में जगमग योजना के तहत, गांवों को नहीं मिल रही 24 घंटे की बिजली, जाने पूरी खबर।

इस योजना के अंतर्गत खेड़ी कला बताओ ला बरौली फरीदपुर दयालपुर, ताजूपुर, बदरपुर गांव जैसे गांव शामिल हैं।

वही खेड़ी कला गांव के निवासी सतपाल नरवत ने कहा कि इस योजना के अंतर्गत हमारा गांव शामिल है, परंतु बिजली की बहुत ज्यादा ही दिक्कत है। रोजाना 10 से 12 घंटे ही बिजली मिलती है।

वहीं दूसरी और गांव सदस्य के निवासी रणवीर त्यागी ने कहा कि 5 घंटे रोजाना बिजली गुल रहती है। पिछले दिनों केबल बॉक्स फटने से 7 घंटे तक बिजली गुल रही थी।

फरीदाबाद में जगमग योजना के तहत, गांवों को नहीं मिल रही 24 घंटे की बिजली, जाने पूरी खबर।

साथी लोगों ने यह भी कहा कि जब भी वह इस पर जांच की मांग करते हैं, तो सिर्फ उन्हें निगमों की ओर से सिर्फ आश्वासन दिया जाता है। इसके लिए किसी भी तरह की कोई भी जांच पड़ताल नहीं की जाती है।

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