दिल्ली मुंबई एक्सप्रेस वे पर दौड़ने वाले वाहनों को प्रदूषण और धूल से राहत दिलाने के लिए ऑक्सीजन रूपी फैक्ट्री ग्रीन कॉरिडोर विकसित किया जा रहा है। कैली गांव से लेकर सेक्टर 59 तक 38 एकड़ जमीन पर 58000 पौधे रोग लगाए जाएंगे। यही पर बड़ी नर्सरी भी तैयार कर दी गई है, जिसमें विभिन्न प्रजाति के पौधे भी लगाए गए हैं। इन्हें भी एक्सप्रेस वे के किनारे लगाया जाएगा। कुल 96814 थिस वे के किनारे लगाए जाएंगे। एक्सप्रेस-वे का निर्माण पूरा होने के साथ ही किनारे पर ग्रीन कॉरिडोर भी तैयार हो जाएगा। बता दें कि फरीदाबाद महानगर विकास प्राधिकरण और हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण मिलकर एक्सप्रेस-वे के किनारे ग्रीन कॉरिडोर विकसित कर रहे हैं।
सेक्टर 37 से लेकर सेक्टर 59 तक 26 किलोमीटर बाईपास दिल्ली मुंबई एक्सप्रेसवे का हिस्सा बनेगी। इसका काम तेजी से चल रहा है और साथ ही इसके किनारे एचएसवीपी के ग्रीन बेल्ट एक्सप्रेस-वे की सर्विस रोड बनाने का कार्य शुरू हो गया है। इसके लिए 20,000 से अधिक पेड़ों को काटा जा चुका है। इसकी भरपाई के लिए हो ग्रीन कॉरिडोर विकसित करने की योजना तैयार की है। एक्सप्रेस-वे के किनारे बसे हुए 11 सेक्टरों को ग्रीन कॉरिडोर का सीधा लाभ होगा। ग्रीन कॉरिडोर आदि के अमृत महोत्सव को समर्पित होगा। कुछ गतिविधियों अमृत महोत्सव के तहत भी तय की जाएंगी ताकि लोगों को अंदर देशभक्ति की भावना और प्रबल हो।
ऐसा होगा ग्रीन कॉरिडोर के बीच बीच में पार्क विकसित करने की योजना है। साइडों में पबेंच लगाने और सैर करने के लिए ट्रैक बनाया जाएगा। स्पीडलाइट लगेंगे, सीसीटीवी कैमरे भी लगेंगे, वहां बच्चों बुजुर्गों को ध्यान रखते हुए उनको पूरा ध्यान रखे जाने वाले वाहनों के धुएं को कॉरिडोर के पेड़ पौधे सेक्टर में जाने से रोकेंगे।
हर साल प्रदूषण बढ़ जाता है और पी एम 2.4 का स्तर 4.50 हो जाता है। इसलिए वहां अधिक पौधारोपण होना जरूरी है। ग्रीन कॉरिडोर से लगने वाले हजारों पौधों से लोगों को सुकून मिलेगा और साथ ही वायु प्रदूषण में लगाम आएगी। वैसे भी एक-दूसरे बनने के बाद दिल्ली से गुजरने वाले वाहनों की संख्या भी बढ़ जाएगी। धूल और वायु प्रदूषण भी बढ़ेगा। इससे कवर करने के लिए ग्रीन कॉरिडोर महत्व भूमिका अदा करेगा।