फरीदाबाद की सड़कों पर नहीं जलती स्ट्रीट लाइट, अगर हो रोशनी तो कर्तव्य पथ पर बेधड़क चले महिलाएं।

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 फरीदाबाद की सड़कों पर नहीं जलती स्ट्रीट लाइट, अगर हो रोशनी तो कर्तव्य पथ पर बेधड़क चले महिलाएं।

यूं तो फरीदाबाद में महिला अपराध के खिलाफ काफी सकती है, लेकिन आज भी सड़कें और गलियां कुछ ऐसी है जहां पर गुजरते वक्त आदमी महिलाएं असुरक्षित महसूस करती हैं। दरअसल पुलिस पेट्रोलिंग की पहुंच हर जगह नहीं होती है और कुछ जगहों पर लाइट की बेहतर व्यवस्था नहीं है। ऐसी जगह पर रात में सवारी का इंतजार करते वक्त महिलाओं में डर की भावना रहती है।

क्योंकि अक्सर सुनसान और अंधेरे में महिलाओं से गलत व्यवहार की खबरें आती ही रहती है। अधिकतर मामलों में तो शिकायत पुलिस तक पहुंचती ही नहीं है। हालांकि नगर निगम और पुलिस महकमा चाहे तो ऐसी घटनाओं को काफी हद तक रोक सकता है। परंतु लोगों का आरोप है कि शिकायत के बाद भी शहर में स्ट्रीट लाइटें दुरुस्त नहीं हो रही है। लिहाजा नौकरी करने वाली महिलाओं को रात के अंधेरे में डर डर कर सफर तय करना पड़ता है।

फरीदाबाद की सड़कों पर नहीं जलती स्ट्रीट लाइट, अगर हो रोशनी तो कर्तव्य पथ पर बेधड़क चले महिलाएं।

जब महिलाओं से पूछा गया तो उनमें से सूर्य नगर निवासी उषा देवी ने कहा कि डीएलएफ एरिया में अधिकतर महिलाएं काम करती है। काफी संख्या में फैक्ट्री है, लेकिन कई जगह अंधेरा होने के कारण परेशानी होती है। कई बार असामाजिक तत्व महिलाओं को देखकर फब्तियां कसते हैं। ऐसे में नगर निगम को रोशनी का प्रबंध करना चाहिए।

वही सेक्टर 8 की निवासी पूनम का कहना है कि सेक्टर 24 इंडस्ट्री में शाम और नाइट शिफ्ट महिलाएं हाईवे के अलावा अन्य स्थानों पर जाने के लिए अंधेरे रास्तों से होकर निकलती है। ऐसे में पुलिस को राइडर या पीआर लगानी चाहिए ताकि महिलाएं अपने आप को सुरक्षित महसूस कर सकें।

फरीदाबाद की सड़कों पर नहीं जलती स्ट्रीट लाइट, अगर हो रोशनी तो कर्तव्य पथ पर बेधड़क चले महिलाएं।

एनएचपीसी चौक से ग्रीन फील्ड की ओर जाने वाली रोड काफी अहम है। इस रोड पर ग्रीन फील्ड कॉलोनी से होते हुए सूरज को नौकर दिल्ली निकल सकते हैं, लेकिन यह रोड अंधेरे से डूबी हुई है। इस रोड से निकलना महिलाओं के लिए मुश्किल ही है क्योंकि इस रोड पर अंडे की लहरियां और शराब के देसी ठेके हैं। ठेके के आसपास शराबियों का जमावड़ा भी रहता है जिसे महिलाओं का निकलना मुश्किल हो जाता है और वह डरी हुई और सहमी हुई होती है।

नेशनल हाईवे से सटा कारखाना बाग इंडस्ट्रियल एरिया है, लेकिन यहां की सीटेट अक्सर खराब रहती है। इसलिए एरिया में नौकरी करने वाली महिलाएं अपने आप को सहज महसूस करती हैं। यहां के रोड पर पुलिस दशरथ भी कम देखने को मिलती है। सुरक्षा व्यवस्था का अभाव देख हमेशा उनके मन में अनहोनी होने का डर रहता है।

फरीदाबाद की सड़कों पर नहीं जलती स्ट्रीट लाइट, अगर हो रोशनी तो कर्तव्य पथ पर बेधड़क चले महिलाएं।

वही फरीदाबाद रेलवे स्टेशन की गिनती ए श्रेणी में आती है क्योंकि इन दिनों मरम्मत का कार्य वहां पर चल रहा है। जिस कार्य स्टेशन जाने के लिए रास्ता बंद है और केवल नेशनल हाईवे का रास्ता खुला हुआ है, लेकिन यहां महिला यात्रियों के लिए रास्ता बिल्कुल भी महफूज नहीं, क्योंकि यह रास्ता अंधेरे से डूबा हुआ है। इस रास्ते की स्ट्रीट लाइट वर्षों से खराब है।

एसीपी मोनिका ने कहा कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए पुलिस हमेशा तत्पर रहती है। दुर्गा शक्ति टीम महिलाओं की सुरक्षा के लिए गठित की गई है। साथ ही कोई घटना घटी तो पीड़ित को तुरंत 112 पर संपर्क करना है। पुलिस कुछ ही मिनटों में मौके पर पहुंचकर कार्यवाही में जुट जाएगी। हालांकि पुलिस छुट्टी के बाद कंपनियां फैक्ट्री के आसपास तैनात रहती है। सादे लिबास में भी असामाजिक तत्वों पर नजर रखी जाती है।

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