नगर निगम और अन्य संस्थाएं मिलकर शहर में स्ट्रीट डॉग की नसबंदी पर 3 करोड रुपए से ज्यादा खर्च कर चुकी है। फिर भी लगातार स्ट्रीट डॉग्स बढ़ते ही जा रहे हैं। हर दिन डॉग बाइट के अलग-अलग जगहों पर 20 से ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं।
जबकि नगर निगम ने नसबंदी कराने को लेकर एनजीओ से टाइप किया हुआ है जिसका हर महीने भुगतान भी किया जाता है। वहीं पर डॉक्टर ऑपरेशन करने में नगर निगम की गति काफी धीमी चल रही है। शहर में 8हजार से अधिक पेट डॉग्स है जिसमें केवल 50 ही रजिस्टर्ड है।
हालांकि नगर निगम की ओर से रजिस्ट्रेशन का काम हाल फिलहाल में ही शुरू किया गया। वहीं नगर निगम में रजिस्ट्रेशन के लिए वैक्सीन सर्टिफिकेट भी काफी जरूरी है। पशुपालन विभाग के डॉक्टर के अनुसार हर 6 महीने में डॉग की संख्या बढ़ती जा रही है। अगर 4 साल पहले यह 12000 होंगे तो अब इनकी संख्या बढ़कर 17 से 18000 हो सकती है।
फीमेल डॉग एक समय में 6 बच्चों को जन्म देती है। उसमें से दो या तीन बच्चे ही जीवित बचते हैं। डॉग्स की बढ़ती संख्या को कम करने के लिए नसबंदी का काम एनजीओ को दिया गया था। सूत्रों की मानें तो एनजीओ सही से काम नहीं कर रहा है और पेमेंट होती जा रही है। आरटीआई एक्टिविस्ट रविन्द्र चावला ने जांच की मांग की है।
डॉग बाइट दशमी को कुल 4 टीके लगाए जाते हैं। पहली जब उसे काटा जाता है दूसरा टीका 3 दिन बाद फिर 1 सप्ताह बाद और एक पिक 28 दिन के बाद इसके अलावा जिसे गंभीर रूप से काटते हैं या अधिक जगह काटते हैं तो उन्हें इम्यूग्लोबिन भी लगाया जाता है। डॉग बाइट दशमी को कुल 4 टीके लगाए जाते हैं। पहली जब उसे काटा जाता है दूसरा टीका 3 दिन बाद फिर 1 सप्ताह बाद और एक पिक 28 दिन के बाद इसके अलावा जिसे गंभीर रूप से काटते हैं या अधिक जगह काटते हैं तो उन्हें इम्यूग्लोबिन भी लगाया जाता है।
ग्रेटर फरीदाबाद की अलग-अलग सोसाइटी में डॉग बाइट के 10 से अधिक मामले सामने आते हैं। वहीं कई बार पालतू कुत्तों द्वारा भी काटने का मामला सामने आता है। लोगों का कहना है कि नसबंदी करने वाली एजेंसी की ओर से लापरवाही की जा रही है। तभी स्ट्रीट डॉग्स की संख्या इतनी बढ़ रही है।
नगर निगम के स्वास्थ्य अधिकारी प्रभजोत का कहना है कि स्ट्रीट डॉग्स को पकड़ने के लिए नगर निगम ने एजेंसी से टाइप किया हुआ है। एजेंसी द्वारा ही स्ट्रीट डॉग्स की नसबंदी की जाती है।