कोरोना महामारी से बचाव के लिए किए गए टीकाकरण का डाटा पुलिस के लिए इस बार काफी मददगार साबित हुआ है। छिपकर रह रहे एक व्यक्ति को ढूंढने में इसकी काफी मदद मिली। करनाल पुलिस ने फरीदाबाद में मिसिंग पर्सन सेल के सहयोग से 6 साल से परिवार से नाराज होकर छिपकर रह रहे बुजुर्ग को ढूंढ निकाला।
मिसिंग पर्सन सेल में तैनात एएसआई कृष्ण ने बताया कि करनाल में रहने वाले एक बुजुर्ग साल 2017 में अपने परिवार से नाराज होकर घर से निकल गए थे। बैंक में अधिकारी पद से सेवानिवृत्त परिवार वालों ने उनकी काफी तलाश की मगर उनका कुछ पता नहीं चला। बुजुर्ग अपने बैंक खाते से पेंशन की राशि भी निकाल रहे थे। परिवार को अनहोनी की भी आशंका थी। उन्होंने करनाल पुलिस को रिपोर्ट दर्ज कराई।
पुलिस ने बुजुर्ग की तलाश में काफी हाथ पाव मारे मगर कोई सुराग नहीं मिला। उन्होंने मिसिंग पर्सन हेल्पलाइन वेबसाइट चलाने वाले एएसआई कृष्ण से सहयोग मांगा। उन्होंने अपनी वेबसाइट पर उनकी फोटो और अन्य जानकारी अपलोड की मगर बुजुर्ग का तब भी कुछ पता नहीं चला। एएसआई कृष्ण ने करनाल पुलिस को उपाय बताएं कि, कोरोना वायरस से बचाव के लिए अगर बुजुर्ग ने कहीं टीकाकरण करवाया होगा तो उन्हें आसानी से ढूंढा जा सकता है।
कोरोना वायरस के लिए टीकाकरण आधार कार्ड से जोड़कर किया गया था। इसके लिए मोबाइल पर मैसेज भी भेजा गया था। यह आइडिया काम कर गया। करनाल पुलिस ने दिल्ली में कोविड के डाटा सेंटर से संपर्क कर बुजुर्ग और उनके पिता का नाम बताया। इससे पता चल गया कि बुजुर्ग में टीकाकरण कराया था। जिस नंबर पर टीकाकरण का मैसेज भेजा गया वह मिल गया। वह गुर्जर का नया नंबर था। इसके बाद करनाल पुलिस ने बुजुर्ग को दिल्ली से ढूंढ निकाला। वह नया मोबाइल नंबर रहकर परिवार से अलग रह रहे थे। नौकरी करके अपना गुजारा कर रहे थे।
परिवार वाले माल मनौव्वल कर उन्हें घर वापस ले आए। एएसआई कृष्ण का कहना है कि को भी टीकाकरण के डाटा से पुलिस सालों से छुपे हुए अपराधियों को भी ढूंढ सकती है। वह खुद भी मिसिंग के तीन चार मामलों में टीकाकरण के डाटा की मदद लेंगे।