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फरीदाबाद के अरावली पर्वत श्रृंखला पर देखें हजारों साल पुराने चिन्ह और हथियार, पुरातत्व सर्वेक्षण की टीम ने भेजी रिपोर्ट, जाने पूरी खबर।

अरावली पर्वत श्रृंखला में बसे फरीदाबाद के कोट गांव में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की टीम को मानव सभ्यता के कई साल पुराने विशेषण और चिन्ह मिले हैं। हरियाणा सरकार की सुपरिटेंडेंट आर्किलॉजिस्टिक कामिसा ने इसकी पुष्टि की है। पिछले दिनों टीम ने कोट गांव में डेरा डाला था और पुरानी सभ्यता के कई चिन्ह चलचित्र और पुराने हथियार देखे।

हालांकि गांव में रहने वाले थे। जिस तेजवीर मावी ने 2021 में यह चिन्ह देखे थे। इसके बाद टीम वहां पहुंची थी, लेकिन भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की टीम ने इसकी रिपोर्ट उच्चाधिकारियों तक भेज दी हैं। ताकि पुरानी मानव सभ्यता पर रिसर्च की जा सके।

कोट गांव के रहने वाले तेजवीर ने बताया कि वह अपनी गाय और भैंस को चराने के लिए पहाड़ों में छोड़ देते थे। उसके बाद में पहाड़ों के अंदर से लेकर आते थे। एक दिन ऐसे ही घने, जंगल और पहाड़ों की तरफ गायक चली गई। उसका पीछा करते-करते जब पहाड़ पर पहुंचे तो वहां पर हाथों के चिन्ह दिखे जो काफी पुराने लग रहे थे।

जब इसके बारे में किताबों में पढ़ा तो पता चला कि वर्षों पुराने हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि उस समय वहां पत्थर पर कुल्हाड़ी भी मिली थी। माना जा रहा है कि इसका प्रयोग लोग खाल उतारने और शिकार करने के लिए किया करते थे। उन्होंने कहा कि कोट गांव की पहाड़ियों पर शैलचित्र भी दिखे।

इसमें हाथ के निशान पैर के निशान के अलावा अलग-अलग चित्र भी बने हुए थे। जून 2021 में हरियाणा पुरातत्व विभाग को इसकी सूचना दी गई थी। टीम ने कोट गांव का दौरा भी किया था और सभी चिन्हों की फोटो अपने साथ ले गए थे।

बताया जा रहा है कि जो चीन मिले हैं, वह हजारों साल पुराने हो सकते हैं। जब लोग अलग-अलग तरह से रहते थे। वैसे भी अरावली रेंज 3.5 मिलियन साल पुरानी है। इसलिए ऐसा कहा जा सकता है कि यह देश की पुरानी रेंज है। अगर इस रेंज में इस तरह से मानव जाति से जुड़ी कुछ चीजें मिली है तो इसे सहेजने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि अगर रिसर्च किया जाए तो अरावली के पुरापाषाण काल तक की चीजें मिल सकती है।

अरावली जहां शुद्ध हवा और पानी उपलब्ध कराती है। वहीं कई पौराणिक इतिहास भी संजोए हुए हैं। आराबी की बेहतरी के लिए काम करने वाले यश भड़ाना ने बताया कि अगर अरावली के अंदर इस तरह से मानव जाति के चिन्ह मिल रहे हैं तो यह काफी अच्छी बात है। इसे तो संग्रहित करना चाहिए। आज के समय में तो अरावली को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। अगर इस तरह की चीजें मिल रही है तो उस पर शोध होना चाहिए।

PEHCHAN FARIDABAD

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