भारत की प्राचीन धरोहरों के लिए तो जाना ही जाता है लेकिन आने वाले दिनों में भारत को ऐसे कई और नए भव्य मंदिर मिलने जा रहे हैं जो हमारी सभ्यता को और भी समृद्ध करने का काम करेंगे।
वृंदावन चंद्रोदय मंदिर
वृंदावन चंद्रोदय विश्व का सबसे लंबा मंदिर होगा जो अभी मथुरा वृंदावन में निर्मित किया जा रहा है। इस मंदिर में कुल लागत 300 करोड़ रुपए की है। यह इस्कॉन बेंगलुरु द्वारा बनाया जा रहा है। अब तक का सबसे खास और महंगा मंदिर है। यह मंदिर वर्ष भर में आने वाले विभिन्न तरह के धार्मिक पर्व और त्योहारों को मनाया जाएगा। आने वाले समय में यह मंदिर हिंदुओं के लिए एक बहुत बड़ा दर्शनिक स्थान होने वाला है। इस मंदिर के सफल निर्माण के बाद वृंदावन विश्व में अपनी एक अलग पहचान बनाएगा।
राम मंदिर
हिंदू ग्रंथों के अनुसार अयोध्या प्रभु श्री राम की जन्मभूमि है। श्री हरि विष्णु के एक अवतार माने जाने वाले श्री राम एक व्यापक रूप से पूछे जाने वाले हिंदू राजा है। इस राम जन्मभूमि पर एक भव्य मंदिर बना था, जिसे तोड़ दिया गया था। इसी जन्म भूमि पर फिर से एक भव्य मंदिर का निर्माण होने जा रहा है। भूमि पूजन समारोह के बाद 5 अगस्त 2020 को स्टेबल निर्माण शुरू हुआ। दिसंबर 2023 में राम मंदिर के एक ठंड का उद्घाटन और भक्तों के लिए खोल दिया जाएगा। इस मंदिर का सभी भारतीयों को बेसब्री से इंतजार है।
महाकाल लोक मंदिर
श्री महाकाल लोक पुराणिक सरोवर रूद्र सागर के किनारे विकसित किया जा रहा है। यह भगवान शिव और देवी सती और दूसरे धार्मिक किस्तों से जुड़ी करीब 200 मूर्तियां और विभिन्न चित्र बनाए गए हैं।श्रद्धालु हर एक अलग क्षेत्र की कथा इस पर स्कैन कर सुन सकेंगे। महाकाल लोक में सप्त ऋषि, नवग्रह मंडल, त्रिपुरासुर वध, कमल ताल, में विराजित श्री 108 स्तंभो में शिव के आनंद तांडव का अंकन शिव स्तंभ भव्य प्रवेश द्वार पर विराजित, नंदी की विशाल प्रतिमा मौजूद है। महाकाल कॉरिडोर में देश का पहला नाइट गार्डन भी बनाया जाएगा।श्रद्धालु हर एक अलग क्षेत्र की कथा इस पर सेंड कर सुन सकेंगे। महाकाल लोक में सप्त ऋषि, नवग्रह मंडल, त्रिपुरासुर वध, कमल ताल, में विराजित श्री 108 स्तंभो में शिव के आनंद तांडव का अंकन शिव स्तंभ भव्य प्रवेश द्वार पर विराजित, नंदी की विशाल प्रतिमा मौजूद है। महाकाल कॉरिडोर में देश का पहला नाइट गार्डन भी बनाया जाएगा।
ओम आश्रम मंदिर
इस सृष्टि के रचयिता कहे जाने वाले त्रिदेव ब्रह्मा विष्णु महेश को ओम का प्रतीक माना जाता है। ओम का निराकार स्वरूप धरती पर पहली बार राजस्थान में साकार हुआ है और आकृति वाला शिव मंदिर लगभग बनकर तैयार है। इसका निर्माण कार्य बीते 25 वर्षों से चल रहा है और 250 एकड़ में फैला हुआ है। यह शिव मंदिर चार खंडों में विभाजित है और एक पूरा खंड भूगर्भ से बना हुआ है। जबकि अन्य तीन खंड जमीन के ऊपर बने हुए हैं। बीच-बीच स्वामी माधवानंद की समाधि है। भूगर्भ में समाधि के चारों तरफ सप्तर्षियों की मूर्तियां स्थापित है।
विराट रामायण मंदिर
विराट रामायण मंदिर बिहार के पूर्वी चंपारण के चकिया केसरिया नगर में बन रहा एक आगामी मंदिर है। यह मंदिर को अंकोरवाट की दोगुनी ऊंचाई एवं आकार का बनाए जाने की योजना है। भगवान श्रीराम का यह मंदिर दुनिया का सबसे ऊंचा मंदिर होगा। इस मंदिर समूहों में कुल 18 देवताओं की मंदिर में मूर्ति स्थापित होंगी। साथ ही मुख्याराध्या भगवान राम होंगे। मान्यता है कि यह भगवान श्रीराम की यहां बारात रुकी थी।
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