शिक्षा विभाग द्वारा किए गए छात्रों के उज्जवल भविष्य के सारे वादे झूठे होते हुए नज़र आ रहे हैं। क्योंकि फरीदाबाद के सरकारी स्कूलों की हालत बहुत ही ख़राब है। यहां के स्कूलों में पढ़ने के लिए छात्र तो हैं, लेकिन उन्हे पढ़ाने के लिए अध्यापक ही नहीं है। जिस वजह से वह पढ़ नहीं पाते और उनका परिणाम बिगड़ जाता हैं। इसी के चलते अबकी बार प्रदेश में बोर्ड परीक्षा के परिणाम मे जिला 22वें स्थान पर था।
पिछली साल इन्हीं दिनों में छात्रों और अभिवाको ने शिक्षकों की कमी के चलते गांव और शहर के सरकारी स्कूलों के दरवाज़े पर ताला लगा दिया था। इसके साथ ही मवई, सराय ख्वाजा, चंदावली, मुजेसर, खेड़कला, आदि के छात्रों ने जिला शिक्षा विभाग के अधिकारियों को घेर लिया था। इस स्थिति को शांत करने के लिए उस समय तो अधिकारियों ने अध्यापकों को डेपुटेशन पर भेज दिया था। लेकिन अब स्थिति फिर वैसी ही है।
बता दें कि राजकीय आदर्श वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय फरीदाबाद का सबसे बड़ा सरकारी स्कूल हैं। यहां पर छात्रों की संख्या 5 हज़ार से भी अधिक है, लेकिन अध्यापक की संख्या सिर्फ 56 हैं। जोकि बेहद कम है। इसी के साथ बता दें कि एक तो स्कूलों में पहले ही अध्यापकों की संख्या कम है, ऊपर से उन्हे जिला प्रशासन चुनावी ड्यूटी, पीपीपी की ड्यूटी जैसे गैर शैक्षणिक कार्यों में लगा देता है। जिस वजह से छात्रों की पढ़ाई नहीं हो पाती।
जानकारी के लिए बता दें कि जिले में फिलहाल 379 सरकारी स्कूल हैं ऐसे में इन स्कूलों में बच्चों की संख्या को देखते हुए 4951 अध्यापकों की जरूरत है।