भारत को आजादी दिलाने के लिए बहुत से वीरों ने अपने प्राणों की आहूति दी है। हर साल स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर सभी वीरों को श्रद्धांजलि देकर इनके बलिदान को याद किया जाता हैं। कई वीरों की प्रतिमा भी स्थापित की जाती है। जैसे इस बार शहर में जिला प्रगतिशील किसान मंच ने मेरी माटी मेरा देश अभियान के तहत राजा नाहर सिंह की प्रतिमा स्थापित की हैं।
बता दें बीते शुक्रवार को राजा नाहर सिंह की इस प्रतिमा को दशहरा मैदान में जिला प्रगतिशील किसान मंच के प्रधान सत्यवीर ने अपनी देख रेख में स्थापित कराया है। इसी के साथ बता दें कि इस प्रतिमा को स्थापित करने से पहले आशा ज्योति विद्यापीठ की छात्राओं ने इसकी पूजा की और आचार्य ऋषिपाल ने हवन किया। वैसे उनकी इस प्रतिमा की ऊंचाई साढ़े 17 फुट और लंबाई 15 फुट की हैं। इस 18 क्विंटल की प्रतिमा को जयपुर के उस कारीगर द्वारा बनाया गया है, जिसने नए संसद भवन का अशोक चक्र बनाया है।
जानकारी के लिए बता दें कि राजा नाहर सिंह की यह प्रतिमा उनके बलिदान के 166 साल बाद लगाई जा रही हैं। अब तक उनकी एक भी प्रतिमा नहीं लगाई गई हैं। उन्होंने 1857 की क्रांति में अपना योगदान दिया था। साल 1858 में अंग्रेजों ने उन्हें झूठी लूट के आरोप में दिल्ली के चांदनी चौक के लालकुआं पर सार्वजनिक रूप से फांसी के फंदे पर लटका दिया था। क्योंकि वह उनकी रणनीति और युद्ध कौशल से काफ़ी परेशान थे।
इसी के साथ बता दे की अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर ने राजा नरसिंह को दिल्ली का आंतरिक प्रशासन नियुक्त किया था, अंग्रेज राजा नाहर सिंह को दिल्ली का आर्य गेट कह कर पुकारते थे।