शिक्षा विभाग द्वारा किए गए छात्रों के उज्जवल भविष्य के सारे वादे झूठे होते हुए नज़र आ रहे हैं। क्योंकि फरीदाबाद के सरकारी स्कूलों की हालत बहुत ही ख़राब है। यहां के स्कूलों में पढ़ने के लिए छात्र तो हैं, लेकिन उन्हे पढ़ाने के लिए अध्यापक ही नहीं है। जिस वजह से वह पढ़ नहीं पाते और उनका परिणाम बिगड़ जाता हैं। यहीं वजह है कि हर साल शहर के बच्चें हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड के दसवीं और बारहवीं के परिणाम में नीचे से अवल आते हैं।
बता दें कि औद्योगिक नगरी में करीब 200 राजकीय स्कूल हैं, जिनमें शिक्षको की संख्या काफ़ी कम है। वैसे शिक्षा विभाग के एक आकड़े के अनुसार शहर में फिलहाल 1400 शिक्षकों की कमी है। जानकारी के लिए बता दें कि फरीदाबाद खंड के सराय ख्वाजा के स्कूल में 63%, अनंगपुर के स्कूल में 68%, पावटा के स्कूलों में 81%, धौज के स्कूलों में 73% और सेहतपुर के स्कूलों में 53% शिक्षकों के पद रिक्त हैं।
वहीं अगर बल्लभगढ़ खंड की बात की जाए तो यहां के फतेहपुर तगा के स्कूलों में 75%, समयपुर के स्कूलों में 68%, बीजोपुर के स्कूलों में 81%, मोहना के स्कूलों में 75% और अरुआ के स्कूलों में 30% शिक्षकों के पद रिक्त हैं।
इस पर सफाई देते हुए जिला शिक्षा विभाग अधिकारी अशोक बघेल ने बताया है कि,”शिक्षा विभाग शिक्षकों की कमी को पूरा करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है। इसके अलावा निदेशालय भी काफ़ी गंभीर है। समायोजन, ट्रान्सफर के जरिए शिक्षकों की पूर्ति के प्रयास में जुटी हुई है।”