कई पाबंदियां लगाने के बाद भी शहर का वायु प्रदूषण कम होने का नाम ही नहीं ले रहा है, आए दिन शहर का AQI बढ़ता जा रहा है, बीते कल भी शहर का AQI 426 दर्ज़ किया गया है। जोकि बेहद ही गंभीर श्रेणी में है। अब ऐसे में सवाल उठता है कि शहर के इस बढ़ते प्रदूषण की असली वजह कौन है? सरकार है या जनता। हालातों को देख कर लगता है कि इस प्रदूषण की असली वजह जनता है,क्योंकि सरकार ने तो प्रदूषण को रोकने के लिए पाबंदियां लगाई हुई है। लेकिन जनता ही उनका अच्छे से पालन नहीं कर रहीं है।
अभी हाल ही में ग्रैप 4 के नियम लागू किए गए है, इन नियमों में कंस्ट्रक्शन के काम, खुदाई, बोरिंग, ड्रिलिंग, स्ट्रक्चरल कंस्ट्रक्शन, वेल्डिंग से जुड़े काम, तोड़फोड़ की गतिविधि, प्रोजेक्ट साइट से बाहर निर्माण सामग्री उतारने- चढ़ाने, ओपन ट्रिच सिस्टम के जरिए सीवर लाइन, पानी लाइन, ड्रेनेज काम, BS-3 पेट्रोल और BS-4 डीजल के वाहनों के उपयोग पर रोक लगाई हुई है।
लेकिन जनता इन नियमों का पालन करने की बजाए इनकी अच्छे से धज्जियां उड़ा रही है। वह खुले में निर्माण सामग्री भी उतरवा रही है, कंस्ट्रक्शन भी करवा रही है और कूड़ा भी जला रही है। इतना ही नहीं पूरे देश में बैन होने के बाद भी पटाखे जला रही है।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 31 जनवरी 2024 तक पटाखो की खरीददारी और जलाने पर पूरी तरह से रोक लगा दी है। SC ने यह फ़ैसला देश के बढ़ते हुए प्रदूषण को लेकर लिया है।