हिम्मत करने वालो की कभी हार नहीं होती, ये सिर्फ़ एक कहावत नहीं है बल्कि सच है। क्योंकि आज के समय में जिस व्यक्ति ने हिम्मत करके अपने काम को किया है, वह ज़रूर जीता है। जैसे फ़रीदाबाद के सिंहराज अधाना ने अपनी मेहनत और सच्ची लगन से अभी हाल ही में अर्जुन अवॉर्ड जीता है। दरअसल सिंहराज राष्ट्रीय पैराशूट खिलाड़ी है।
बता दें कि बचपन में पोलियो की वजह से अपने दोनों हाथ- पैर खोने के बावजूद भी उन्होंने कभी हार नहीं मानी। उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से पहली बार साल 2018 के पैरा एशियन गेम्स में कांस्य पदक जीता था। जब होने सरकार से ईनाम के तौर पर 75 लाख रूपए की धनराशि भी मिली थी। इसके बाद उन्होंने टोक्यो पैरा ओलंपिक में 50 मीटर मिक्सड पिस्टल में सिल्वर और 10 मीटर पिस्टल में कांस्य पदक जीता था। इसी के साथ बता दें कि उन्होंने अपने सफर की शुरुवात साल 2017 में की थी।
अपने सफर के बारे में बताते हुए उन्होंने बताया कि,”उनका बेटा व भतीजा शूटिंग और स्विंमिंग सीखने जाते थे तो कभी- कभार वो भी उनके साथ चले जाते थे। वहां पर एक दिन बेटे के कोच ने उनकी निशानेबाजी देखी तो पैराशूट बनने की सलाह दी। इस तरह 2017 में पैराशूट बनने का सफर शुरू हुआ। इसी साल केरल के तिरुवंतपुरम में राष्ट्रीय पैराशूट के तौर पर प्रतिभा की और फिर यूएई में खेलने का अवसर मिला।लेकिन यहां सफलता नहीं मिली। जिसके बाद राष्ट्रीय कोच जेपी नौटियाल पास आकर बोले कि आप भी औरों की तरह ही विदेश में सिर्फ खाना खाने आए हैं। यह बात उनके दिल में घाव कर गई और जिसके बाद उनकी जिंदगी बदल गई।”
इसी के साथ उन्होंने बताया कि,”मेडल जीतने के लिए अधिक अभ्यास की जरूरत थी लेकिन पैसों की कमी थी। इसीलिए उन्होंने एक स्कूल में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी की और इन पैसों को अपनी प्रैक्टिस में लगाया। उन्हें बेहतर प्रैक्टिस के लिए बेहतर कोच की तलाश की तो ऐसे में उनकी मुलाकात ओम प्रकाश चौधरी से हुई, उन्होंने सिंहराज को करणी सिंह शूटिंग रेंज में प्रैक्टिस करवाना शुरू किया। वहां पर प्रैक्टिस के 6 महीने के अंदर ही टोक्यो पैरालंपिक के लिए क्वालीफाई कर लिया।”