इन दिनों Faridabad के सेक्टर 12 के HSVP मैदान में सरस मेला का आयोजन किया जा रहा है, जिसे देखने के लिए भारी संख्या में लोग पहुँच रहे है। इस मेले में अलग अलग हस्त शिल्पकारों की कला लोगो को अपनी तरफ़ आकर्षित कर रही है। वैसे बाजरे से बने गोल गप्पे और डोसे को इस बार लोगों ने काफ़ी ज़्यादा पसंद किया है। लेकिन अब बाजरे के गोल गप्पे और डोसे के अलावा शहर की जनता को बाँस का मुरब्बा और आचार भी काफ़ी पसंद आ रहा है। क्योंकि शहर की जनता ने पहले कभी बाँस का मुरब्बा नहीं खाया है।
बता दें कि सरस मेले में इन बाँस के मुरब्बों को रोहतक के लखन माजरा गाँव के राहुल लाए हैं। वह मेले में सबको इन मुरब्बों का फ़ायदा बता रहे है। इसी के साथ बता दें कि वह मेले में बांस के मुरब्बे के अलावा आंवला, बेल गिरी, गाजर, सेब और कोड़तुम्बा का मुरब्बा लाए हैं। साथ ही वह लहसुन, मेथी, मिर्च, कैरी, करौंदे का अचार और अंवाले के लड्डू आदि लाए है। वैसे वो अपने मुरब्बों में केवल देशी खांड का ही प्रयोग करते हैं।
अपने इस काम के बारे में और जानकारी देते हुए राहुल ने बताया कि,”उन्होंने 2 साल पहले मुरब्बे और अचार बनाने का काम शुरू किया था। हालाकि शुरुआत में उन्हें काफी परेशानी हुई थी, लेकिन ज्योति स्वयं सहायता समूह से मिलने के बाद इनका काम चल निकला है। अब वह हरियाणा के अलावा राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश सहित कई राज्यों में अपने आचार और मुरब्बे भेजते है।”
इसी के साथ उन्होंने बताया कि,”इन ऑर्डर को पूरा करने के लिए उन्होंने जींद के उचाना गांव में एक फैक्टरी भी लगाई हुई है। जिसमे 25 से 27 लोग काम करते हैं।”