इन दिनों अरावली की हसीन वादियों में सूरजकुंड मेले का आयोजन किया जा रहा है। ऐसे में पर्यटकों को मेले में अलग अलग देश और राज्य की कलाओं से रूबरू होने का मौक़ा मिल रहा है। लेकिन मेले में इतनी सारी अलग अलग तरह की कला होने के बावजूद भी एक घड़ी हजारों पर्यटकों के बीच में आकर्षण का केंद्र बनी हुई है।
उसके पीछे की वजह है उस घड़ी का अनोखापन, क्योंकि यह घड़ी कोई मामूली घड़ी नहीं है। इस घड़ी में समय का पता सुई की मदद से नहीं बल्कि पानी और कटोरे की मदद से चलता है। बता दें कि यह अनोखी घड़ी हरियाणा के अपने घर में है, और यह घड़ी पानी की घड़ी के नाम से मशहूर है। वैसे यह पानी की घड़ी देखने में साधारण एक बाल्टी और कटोरा है। लेकिन इसका समय बताने का तरीका साधारण नहीं है।
इसी के साथ बता दें कि इस घड़ी में समय देखने के लिए बाल्टी को पहले पानी से भरा जाता है, जिसमे कटोरा रख दिया जाता है। कटोरा के बीच में एक महीन छेद है। जो 40 मिनट में बाल्टी में मौजूद पानी से भर जाता है। उस कटोरा के एक बार पूरा भरने को एक घड़ी कहते हैं। इस पानी की घड़ी का प्रयोग पुराने समय में गांव के लोग समय देखने के लिए करते थे।