रेलवे के पश्चिमी समर्पित मालवहन गलियारे (डब्ल्यूडीएफसी) के रेवाड़ी दादरी खंड में हरियाणा में सोहना के नजदीक अरावली पहाड़ियों से होकर गुजरने वाली लाइन के लिए एक किलोमीटर लम्बी सुरंग की खुदाई का कार्य रिकॉर्ड समय में आज पूरा हो गया है ।
इस सुरंग को एक वर्ष से कम समय के भीतर तैयार कर लिया गया है।भारतीय समर्पित मालवहन गलियारा निगम लिमिटेड के प्रबंध निदेशक अनुराग सचान ने आज मध्याह्न वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में सुरंग के बीच में दो मीटर की दीवार को नियंत्रित विस्फोट के माध्यम से खोला गया ।
यह भारत ही नहीं विश्व में ऐसी पहली रेलवे सुरंग होगी जो विद्युतीकृत एवं डबल स्टेक कंटेनरों के संचालन के लिए उपयुक्त है।
जानिए क्यों खास है ये सुरंग
पूर्वी एवं पश्चिमी डीएफसी दोना में कुल छह सुरंगें हैं। पश्चिमी डीएफसी में यहां एक किमी. लम्बी सोहना सुरंग, 320 मीटर लम्बी वसई डिटूर उत्तरी सुरंग और 430 मीटर लम्बी वसई डिटूर दक्षिणी सुरंग हैं। इसी तरह पूर्वी डीएफसी में भी सोननगर गोमोह खण्ड में क्रमशः 150 मीटर, 475 मीटर एवं 300 मीटर लंबी तीन सुरंगें हैं।
डीएफसी निगम लिमिटेड में महाप्रबंधक परिचालन वेद प्रकाश ने बताया है कि भूवैज्ञानिक रूप से यह सुरंग सुरक्षित और स्थिर है क्योंकि यह सुरंग 250 से 50 करोड़ वर्ष पुरानी प्रोटेरोजोइक चट्टानें मुख्यतः दिल्ली सुपरग्रुप राॅक्स की अलवर/अजबगढ़ समूहों की क्वार्ट्जाइट, स्किस्ट और स्लेट्स की चट्टानों को काट कर बनायी गयी है।
इस सुरंग से 100 किमी प्रतिघंटा की गति से 25 टन एक्सल लोड एवं डबल स्टेक कंटेनर वाली मालगाड़ियां गुजरेंगी। सुरंग की चौड़ाई 15 मीटर और ऊंचाई 12.5 मीटर है।
आपको बता दे की, भारतीय रेल के खाते में एक और विश्व कीर्तिमान जुड़ चुका है शुक्रवार को हरियाणा के सोहना के पास अरावली हिल्स के भीतर से होकर गुज़रने वाली 1 किलोमीटर लम्बी रेल टनल में एक आख़री विस्फोट किया गया जिसके साथ ही ये टनल दोनों ओर से खुल गई है ये टनल विश्व की पहली ऐसी टनल है जिसमें मालगाड़ियों के लिए दोहरी इलेक्ट्रिफ़ाइड रेल लाईन बिछाई जा रही है |
क्या है डेडिकेटेड फ़्रेट कॉरिडोर
अभी देश में माल गाड़ियां भी उन्हीं पटरियों पर चलाई जाती हैं जिन पर यात्री गाड़ियां चलती हैं इससे रेल पटरियों के नेटवर्क पर लोड ज़्यादा पड़ता है, कंजेशन के कारण यात्री ट्रेनें लेट होती हैं इसीलिए अब सिर्फ़ माल गाड़ियों के लिए अलग से डेडिकेटेड फ़्रेट कॉरिडोर बनाया जा रहा है इसके लिए डेडिकेटेड फ़्रेट कॉरिडोर कारपोरेशन की स्थापना की गई है जो भारतीय रेलवे का ही एक अभिन्न अंग है
कब तक बनकर तैयार होगा
डेडिकेटेड फ़्रेट कॉरिडोर एमडी अनुराग सचान ने एबीपी न्यूज़ को बताया कि ईस्टर्न और वेस्टर्न दोनों डेडिकेटेड फ़्रेट कॉरिडोर जून 2022 पूरे हो जाएंगे फ़िलहाल दोनों रेल कॉरिडोर के सभी हिस्सों में एक साथ काम चल रहा है. दोनों के कुछ हिस्से पूरी तरह बन कर तैयार हो चुके हैं जिनमें स्थानीय माल गाड़ियों को ट्रायल बेसिस पे चलाया जा रहा है अब तक 1600 लोडेड माल गाड़ियों को इन पर चलाया जा चुका है
कहां से कहां तक बनेगा
देश में दो डेडिकेटेड फ़्रेट कॉरिडोर बन रहे हैं. दोनों को नोएडा के दादरी में लिंक किया जाएगा. एक का नाम है वेस्टर्न डेडिकेटेड फ़्रेट कॉरिडोर जो नोएडा के दादरी से गुड़गांव और गुजरात होते हुए मुंबई तक जाएगा. दूसरे का नाम है ईस्टर्न डेडिकेटेड फ़्रेट कॉरिडोर जो पंजाब के लुधियाना से दादरी होते हुए कोलकाता तक जाएगा I
आम यात्रियों को क्या लाभ इससे होगा
डेडिकेटेड फ़्रेट कॉरिडोर बन जाने से यात्री रेल लाइनों की सभी माल गाड़ियां डेडिकेटेड फ़्रेट कॉरिडोर से चलने लगेंगी जिससे यात्री गाड़ियों के लिए क़रीब 50% पटरियां ख़ाली हो जाएंगी. इससे यात्री गाड़ियों की स्पीड को मौजूदा क़रीब 90 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड को 130-160 तक करना आसान हो जाएगा. इससे आने वाले समय में भारतीय रेल से वेटिंग लिस्ट का सिस्टम ख़त्म हो सकेगा और हर यात्री को टिकट लेते समय ही कन्फ़र्म टिकट मिलेगा |
यह सुरंग कोलकाता और पंजाब को जोड़ रहा है
डीएफसी का इस्टर्न कॉरिडोर पश्चिम बंगाल में कोलकाता के पास दानकुनी से पंजाब के लुधियाना को जोड़ रहा है. 1856 किलोमीटर लंबा यह कॉरिडोर पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब को जोड़ेगा जबकि वेस्टर्न कॉरिडोर उत्तर प्रदेश के दादरी से मुंबई के जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट तक फैला है 1506 किलोमीटर लंबाई वाली इस लाइन से पूरे एनसीआर, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र को बड़ा लाभ मिलने वाला है इन दोनों कॉरिडोर का काम साल 2021 तक पूरा होने की उम्मीद है |
Written by- Prashant K Sonni
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