फरीदाबाद में बेतरतीब तरीके से संचालित हो रहे अवैध कार वॉशिंग सेंटर पर्यावरण के लिए गंभीर चुनौती बनते जा रहे हैं। शहर के कई हिस्सों में ऐसे सेंटर काम कर रहे हैं, जो न तो किसी सरकारी अनुमति के दायरे में आते हैं और न ही इनमें अपशिष्ट जल को साफ करने के लिए जरूरी ट्रीटमेंट प्लांट लगे हैं।

हर दिन इन सेंटरों से हजारों लीटर पानी बर्बाद हो रहा है, जो सीधे नालियों और ज़मीन में बहाया जा रहा है। इससे न केवल भूजल प्रदूषण का खतरा बढ़ गया है, बल्कि स्थानीय आबादी भी इसकी चपेट में आ रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि बिना शोधन के छोड़ा गया गंदा पानी दीर्घकाल में स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को जन्म दे सकता है।

जानकारी के अनुसार, जिले में लगभग 50 से अधिक कार वॉशिंग यूनिट्स को आधिकारिक स्वीकृति प्राप्त है। नियमों के तहत किसी भी सेंटर को शुरू करने से पहले अपशिष्ट जल शोधन संयंत्र (ईटीपी) लगाना अनिवार्य है। इसके अलावा सिंचाई विभाग की मंज़ूरी भी आवश्यक मानी गई है।

स्थानीय लोगों का आरोप है कि एनआईटी, बल्लभगढ़, बाईपास रोड, ओल्ड फरीदाबाद और ग्रेटर फरीदाबाद जैसे क्षेत्रों में बड़ी संख्या में अवैध वॉशिंग सेंटर खुले हुए हैं। इनसे निकलने वाला गंदा पानी आसपास के इलाके में बदबू और गंदगी फैला रहा है, जिससे नागरिकों का जीवन प्रभावित हो रहा है।
पर्यावरणविदों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने प्रशासन से इस पर सख्त कार्रवाई की मांग की है, ताकि न केवल जल स्रोतों की सुरक्षा हो सके, बल्कि नागरिकों को भी स्वच्छ वातावरण मिल सके।



