
हरियाणा सरकार ने मंत्रियों, विधायकों और सभी स्तर के अधिकारियों-कर्मचारियों की विदेश यात्राओं पर नियंत्रण को लेकर एक नई आचार संहिता लागू कर दी है। यह दिशा-निर्देश मुख्यमंत्री कार्यालय और वित्त विभाग की मंजूरी से जारी किए गए हैं और तत्काल प्रभाव से लागू माने जाएंगे। नई व्यवस्था के तहत अब विदेश यात्रा के लिए केवल अनुमति ही नहीं, बल्कि वित्तीय स्वीकृति भी अनिवार्य होगी।
मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी की ओर से जारी इस आचार संहिता के मुताबिक, अब ग्रुप ‘ए’, ‘बी’, ‘सी’, और ‘डी’ के अधिकारियों के साथ-साथ हरियाणा कैडर के आईएएस, आईपीएस, और आईएफएस अधिकारियों पर भी यह नियम लागू होंगे।
नए नियमों के अनुसार, किसी भी सरकारी अधिकारी या कर्मचारी को एक वित्तीय वर्ष में अधिकतम एक आधिकारिक और एक निजी विदेश यात्रा की अनुमति दी जाएगी। दोनों यात्राओं की कुल अवधि 21 दिन से अधिक नहीं हो सकेगी।
सरकारी खर्च पर यात्रा के लिए प्रस्ताव संबंधित विभाग को मुख्यमंत्री की स्वीकृति प्राप्त कर ‘चेकलिस्ट’ सहित वित्त विभाग की एफआर शाखा को भेजना होगा। वहीं, निजी खर्च पर विदेश यात्रा के लिए भी पूर्व स्वीकृति लेना जरूरी होगा — यहां तक कि उस देश का नाम भी अनुमति पत्र में स्पष्ट रूप से दर्ज किया जाना अनिवार्य होगा।
सरकार ने साफ कर दिया है कि विदेश यात्रा के लिए बाद में मंजूरी (Ex-post facto approval) की व्यवस्था अब पूरी तरह समाप्त कर दी गई है। यानी अनुमति के बिना विदेश गए तो सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई तय मानी जाएगी।
नई गाइडलाइन में स्पष्ट किया गया है कि अधिकारी विदेश में रहते हुए बिना पूर्व अनुमति कोई भी कार्य (नौकरी, सेवा आदि) नहीं कर सकते और निर्धारित अवधि से अधिक ठहरने की अनुमति भी नहीं होगी। जहां कार्यभार सौंपने की व्यवस्था हो, वहां विदेश यात्रा से पहले अधिकारी को अपनी जिम्मेदारियां किसी अन्य को सौंपना अनिवार्य होगा।
नियमों का उल्लंघन करने वाले कर्मचारियों/अधिकारियों पर हरियाणा सिविल सेवा (दंड एवं अपील) नियम, 2016 के तहत कार्रवाई की जाएगी। वित्त विभाग ने स्पष्ट किया है कि इन दिशा-निर्देशों की व्याख्या, संशोधन या परिवर्तन का अधिकार केवल एफआर शाखा के पास सुरक्षित रहेगा।
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