फरीदाबाद की हवा में जहरीले कणों की मात्रा बढ़ती जा रही है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक़, शहर का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 125 तक पहुँच गया है, जो ‘खराब’ श्रेणी में आता है। लगातार बढ़ते औद्योगिक संचालन, निर्माण गतिविधियाँ और वाहनों से निकलता धुआँ वायु गुणवत्ता को प्रभावित कर रहे हैं।

स्थानीय स्तर पर भी छोटे पैमाने की औद्योगिक इकाइयाँ और ढाबों में जलते तंदूर वायु प्रदूषण को बढ़ावा दे रहे हैं। जबकि ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) के पहले चरण को लागू कर दिया गया है, फिर भी कई स्थानों पर नियमों की अनदेखी हो रही है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि वायु प्रदूषण का यह स्तर यदि और बढ़ा, तो सांस, त्वचा और आंखों से जुड़ी बीमारियों में इज़ाफ़ा हो सकता है। शहर के अस्पतालों में अस्थमा और सांस की तकलीफ से जूझ रहे मरीजों की संख्या पहले ही बढ़ने लगी है।

प्रशासन ने हालात को देखते हुए निगरानी कड़ी कर दी है। जिला प्रदूषण नियंत्रण समिति को सक्रिय किया गया है और अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि निर्माण स्थलों पर नियमित रूप से पानी का छिड़काव कराया जाए। साथ ही, खुले में मलबा या कचरा जलाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने को कहा गया है।

नगर निगम की ओर से शहर के कई हिस्सों में एंटी-स्मॉग गन तैनात कर दी गई हैं ताकि धूल नियंत्रण के उपाय प्रभावी ढंग से लागू हो सकें।
इसी बीच बल्लभगढ़ की स्थिति भी चिंताजनक बताई जा रही है, जहाँ वायु गुणवत्ता और अधिक खराब दर्ज की गई है। कुछ नागरिकों ने यह भी सवाल उठाया है कि शहर में कई जगहों पर प्रदूषण मापने वाले उपकरण या तो खराब हैं या अपडेट नहीं हो रहे, जिससे वास्तविक स्थिति का सही आंकलन करना मुश्किल हो रहा है।



