केंद्रीय ऊर्जा, आवासन एवं शहरी विकास मंत्री मनोहर लाल ने कहा कि ‘स्वनिधि से समृद्धि’ केवल एक सरकारी योजना नहीं, बल्कि देश के सबसे गरीब तबके को सशक्त बनाने का राष्ट्रीय संकल्प है। उन्होंने कहा कि सरकार का लक्ष्य है कि हर रेहड़ी-पटरी वाला आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बने और डिजिटल भारत का सशक्त हिस्सा बने।

मनोहर लाल शनिवार को दिल्ली स्थित संकल्प भवन में आयोजित पीएम स्वनिधि योजना की उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। इस बैठक में देशभर के 33 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के शहरी विकास मंत्री, वरिष्ठ अधिकारी, वित्तीय सेवा विभाग और प्रमुख बैंकों के प्रतिनिधि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शामिल हुए।

बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में अगस्त माह में हुई कैबिनेट बैठक के निर्णयों पर विस्तार से चर्चा की गई। उस बैठक में योजना के पुनर्गठन और ऋण अवधि को 31 मार्च 2030 तक बढ़ाने की मंजूरी दी गई थी। पुनर्गठित योजना में 7,332 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ 50 लाख नए लाभार्थियों को शामिल करते हुए कुल 1.15 करोड़ रेहड़ी-पटरी वालों को लाभान्वित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

बैठक के दौरान मंत्री मनोहर लाल ने योजना को नई गति देने के लिए “स्वनिधि संकल्प अभियान” की घोषणा की। यह राष्ट्रीय अभियान 3 नवंबर से 2 दिसंबर 2025 तक चलेगा। इस अवधि में अधिक से अधिक रेहड़ी-पटरी वालों तक योजना का लाभ पहुंचाने और आवेदन प्रक्रिया को सरल बनाने पर जोर दिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार इस योजना के माध्यम से हर जरूरतमंद व्यक्ति तक पहुंचने के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि लाभार्थी आत्मसम्मानपूर्वक जीवन यापन कर सकें और देश की शहरी अर्थव्यवस्था में योगदान दे सकें।

केंद्रीय मंत्री ने राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों और बैंकों से अपील की कि वे पात्र लाभार्थियों की पहचान में तेजी लाएं, लौटाए गए आवेदनों का शीघ्र निपटारा करें और लंबित ऋण वितरण प्रक्रिया को गति दें। उन्होंने यह भी कहा कि लाभार्थियों को केवल पहली ऋण किस्त तक सीमित न रखते हुए, दूसरी और तीसरी किस्त तक पहुंचाने के प्रयासों को प्राथमिकता दी जाए ताकि उनका व्यवसाय स्थायी रूप से आगे बढ़ सके।
इसके साथ ही, मंत्री ने सभी लाभार्थियों की डिजिटल ऑनबोर्डिंग, 100 प्रतिशत डिजिटल भुगतान व्यवस्था और एफएसएसएआई के माध्यम से स्वच्छता एवं खाद्य सुरक्षा प्रशिक्षण को अनिवार्य करने पर विशेष बल दिया।



