राजधानी क्षेत्र में वायु प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए लागू की गई ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) का असर अब भी ग्रामीण इलाकों में दिखाई नहीं दे रहा। गांवों में किसानों द्वारा पराली जलाने की घटनाएं लगातार जारी हैं, जिससे हवा की गुणवत्ता लगातार गिरती जा रही है।

सुबह और शाम के समय कई गांवों में धुएं की परत छा जाती है। स्थानीय लोगों के अनुसार, इसका सबसे ज़्यादा असर बच्चों, बुजुर्गों और अस्थमा जैसे रोगों से पीड़ित मरीजों पर पड़ रहा है। कई जगहों पर लोग आंखों में जलन और सांस लेने में तकलीफ की शिकायत कर रहे हैं।

किसानों का कहना है कि पराली को खेत से हटाने या दबाने में खर्च अधिक आता है, जबकि सरकारी मशीनें समय पर उपलब्ध नहीं हो पातीं। साथ ही, कई किसानों को पराली प्रबंधन तकनीक और उपकरणों के सही उपयोग की जानकारी भी नहीं है, जिसके चलते वे मजबूरी में आग लगाने को मजबूर हो जाते हैं।
मंझावली, चीरसी, घरौंडा, रायपुर, अल्लीपुर और चांदपुर जैसे गांवों में लगातार धुएं के गुबार उठते देखे जा रहे हैं। ग्रामीणों के मुताबिक, प्रशासन की टीमें कभी-कभी निरीक्षण के लिए आती हैं, लेकिन स्थिति पर कोई ठोस सुधार नहीं दिख रहा।

प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं और नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। बावजूद इसके, खेतों में आग लगने की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं, जिससे एनसीआर की हवा और ज़हरीली होती जा रही है।



