हरियाणा में सड़क हादसों का सिलसिला चिंताजनक स्तर पर पहुँच गया है। इसी को देखते हुए राज्य के पुलिस महानिदेशक ने एक विस्तृत ट्रैफिक एडवाइजरी जारी की है। इसमें उन्होंने खुलासा किया कि जनवरी से अक्टूबर 2024 के बीच प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं में करीब 4,000 लोगों की मौत हुई है, जो इसी अवधि में हुई हत्या की घटनाओं में मारे गए लोगों की संख्या से पाँच गुना ज्यादा है।

डीजीपी ने सभी चौकी इंचार्ज, ट्रैफिक पुलिस अधिकारी, एसएचओ और डीएसपी को पत्र लिखकर निर्देश दिए हैं कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में ब्लाइंड स्पॉट और एक्सीडेंट हॉटस्पॉट की पहचान करें और वहां होने वाले हादसों के कारणों को दूर करने की दिशा में तुरंत कार्रवाई करें।
उन्होंने लिखा है कि सड़क दुर्घटनाओं में जान गंवाने वाले ज्यादातर लोग 20 से 30 वर्ष की आयु के होते हैं जो अपने परिवार की आर्थिक रीढ़ होते हैं। हजारों लोग गंभीर रूप से घायल होकर अपंग हो जाते हैं, और उनके इलाज में लाखों रुपये खर्च हो जाते हैं। डीजीपी ने इसे एक मानव-निर्मित आपदा करार देते हुए कहा कि अगर सभी स्तरों पर जिम्मेदारी से प्रयास किए जाएँ, तो इसे काफी हद तक रोका जा सकता है।

एडवाइजरी में कहा गया है कि अधिकारी यह सुनिश्चित करें कि सड़कों पर खराब वाहन लंबे समय तक खड़े न रहें। ऐसी गाड़ियों को तुरंत हटवाया जाए, और जब तक हटाया न जा सके, तब तक वहां रिफ्लेक्टिव टेप वाले कोन लगाए जाएँ ताकि दूर से भी गाड़ी साफ दिखाई दे।

डीजीपी ने शराब पीकर वाहन चलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश भी दिए हैं। उन्होंने कहा कि नशे में ड्राइविंग करने वालों को कम से कम 15 से 20 दिन जेल भेजना सुनिश्चित करें, ताकि यह दूसरों के लिए भी नज़ीर बने। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि जहां ओवरस्पीडिंग की संभावना अधिक है, वहां प्रभावी नाके लगाए जाएँ और बिना किसी नरमी के चालान किए जाएँ। उन्होंने लिखा, ऐसे सिरफिरे ड्राइवरों की वजह से सड़कें कभी-कभी फायरिंग रेंज से भी ज्यादा खतरनाक हो जाती हैं।
डीजीपी ने ट्रक ऑपरेटरों से भी अपील की है कि वे यह सुनिश्चित करें कि उनके ड्राइवर प्रशिक्षित हों और उन्हें पर्याप्त आराम दिया जाए। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि थकान या लापरवाही के कारण कोई हादसा होता है, तो जांच की आंच मालिकों तक भी पहुँच सकती है।



