हर साल 28 जुलाई को विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस मनाया जाता है। इसके माध्यम से प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा को लेकर जागरूकता पैदा की जाती है।
एक स्वास्थ्य माहौल स्थिर और उत्पादक समाज की बुनियाद है। इस विचार पर ही विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस आधारित है। इसके माध्यम से हमारी मौजूदा और भावी पीढ़ियों का कल्याण भी सुनिश्चित किया जाता है।
दरअसल असंतुलन के कारण आज के समय में हम ढेरों समस्याओं का सामना कर रहे हैं। उनमें ग्लोबल वार्मिंग, विभिन्न बीमारी, प्राकृतिक आपदा, बढ़ा हुआ तापमान शामिल है। अगर प्रकृति की सुरक्षा नहीं की गई तो धरती को तबाह होने से कोई भी नहीं बचा सकता।
अभी ही इसके दुश परिणाम सामने आने लगे हैं। देश और दुनिया के किसी इलाके में सूखा पड़ रहा है, तो वहां के लोग सूखे के कारण मौत की चपेट में आ रहे हैं, तो दूसरी तरफ कहीं बारिश ने तांडव मचा रखा है। यह सब प्राकृतिक असंतुलन के कारण हो रहा है।
गौरतलब है कि तीन प्रमुख तत्त्व जल, जंगल और जमीन इनके बिना प्रकृति अधूरी है। जिस देश में भी यह तीनों मौजूद हैं, वहां समृद्धि को देखा जाता है और सौभग्य से भारत में यह तीनों प्रचूर मात्रा उपलब्ध हैं। लेकिन दुर्भाग्य से इन चीज़ों का दोहन बहुत ही बेदर्दी से हो रहा है,
जिससे भारत में भी पर्यावरण असंतुलन का खतरा गहराता जा रहा है। इसलिए जरूरत है कि हम समय रहते सतर्क हो जाएं और देश को संभावित प्राकृतिक खतरे से बचाएं।
इसके लिए हमें कम से कम जिन चीज़ों पर ध्यान देने की आवश्यकता है, वो हैं जंगलों को ना काटें, ज्यादा से ज्यादा पोधे लगाएं, ज़मीन में उपलब्ध पानी का प्रयोग तभी करें जब आपको जरूरत हो, कार्बन जैसी नशीली गैसों का उत्पाद बन्द करें, उपयोग किए गए पानी का चक्रीकरण करें, ज़मीन के पानी को फिर से स्तर पर लाने के लिए वर्षा के पानी को सहेजने की व्यवस्था भी करें।
Written by – Ansh Sharma
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