हरियाणा के राज्यपाल श्री सत्यदेव नारायण आर्य ने कुलपतियों व शिक्षाविदों का आवाहन किया कि वे नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को प्रभावी व त्वरित गति से लागू करने में पहल करें जिससे देश और प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था में बेहतर बदलाव के साथ युवा पीढ़ी आत्म-निर्भर होगी। श्री आर्य मंगलवार को हरियाणा राज्य उच्च शिक्षा परिषद द्वारा आयोजित डिजिटल काॅन्कलेव में कुलपति व शिक्षाविदांे को संबोधित करे रहें थे।
उन्होनें कहा कि शिक्षा जगत से जुड़े लोग नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने में जबावदेही के साथ अपनी जिम्मेवारी निभाएगें तो निश्चत रूप से भारत के नव-निर्माण की प्रक्रिया में देश को अच्छे विद्यार्थी, व्यवसायी और अच्छे नागरिक मिलेगें।उन्होनें कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में शिक्षा का मूल उद्देश्य कौशल, तकनीकी ज्ञान और विशेषज्ञता के साथ अच्छे इंसान तैयार करना है।
हरियाणा प्रदेश में तो नई शिक्षा नीति के तीव्र लाभों की और शिक्षा के प्रचार-प्रसार की अपार सम्भावनाएं हैं क्योंकि हरियाणा में शिक्षा से सम्बन्धित सभी ढांचागत सुविधाएं पहले से सुदृढ़ हंै।श्री आर्य ने कहा कि किसी भी देश की प्रगति और भविष्य का आधार मजबूत शिक्षा तंत्र ही होता है। इसी उद्देश्य से 34 वर्ष के बाद राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 तैयार की गई है। यह शिक्षा नीति भारत के नव-निर्माण की आधारशिला है।
इस शिक्षा नीति में 130 करोड़ लोगों की आकांक्षाआंे को प्रतिबिंबित किया गया है।उन्होनें कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत अनुसन्धान, नए अन्वेषणों तथा रोजगारान्मुखी कार्यक्रमों को लगातार तीव्रता प्रदान करने के लिए सकल घरेलू उत्पाद का 6 प्रतिशत हिस्सा शिक्षा के लिए रखा गया है ऐसा देश में पहली बार हुआ है। स्वाभाविक रूप से भविष्य में देश में शिक्षा से सम्बन्धित ढांचागत सुविधाओं का अपार विकास होगा।
राज्यपाल ने कहा कि देश में शिक्षा के क्षेत्र में पहले एक भेड़चाल थी। सभी लोगों में देखा-देखी अपने बच्चों को डाॅक्टर, वकील, इंजीनियर बनाने की हौड़ लगी रहती थी, लेकिन अब नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को राष्ट्रीय निर्माण और रचनात्मक शिक्षा का स्वरूप दिया गया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में अध्यापक के स्वाभिमान का भी ध्यान रखा गया है। एक तरफ जहां विद्यार्थियों को स्थानीय पहलुओं से लेकर विश्व स्तरीय प्रणाली से जोड़ा गया है, दूसरी तरफ शिक्षकों के स्तर को बढ़ाने के लिए भी प्रशिक्षण आदि का विशेष प्रावधान किया गया है।
श्री आर्य के अनुसार रोचक विषयों के अध्ययन से हमारे विद्यार्थी विभिन्न विषयों में पारंगत होगें। इन विद्यार्थियों की प्रतिभा का लाभ देश को ही मिलेगा। इससे ब्रेन-ड्रेन को लगाम लगेगी। नई शिक्षा नीति पूरी तरह रोजगारोन्मुखी होगी। यहां तक कि उच्चतर व उच्च शिक्षा में कौशल निपुणता को भी अनिवार्य किया। उन्होनें चार दिवसीय काॅन्क्लेव में सभी शिक्षाविदों को बधाई दी।
डिजिटल काॅन्क्लेव में राज्यपाल की सचिव डा0 जी.अनुपमा ने कहा कि नई शिक्षा नीति से शिक्षा तंत्र मजबूत होगा।
इस शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में विभिन्न बिंदूओं पर काम करना होगा तभी नई शिक्षा नीति प्रभावी तरीके से लागू होगी। उन्होनंे कहा कि नई शिक्षा के अनुसार आंगनबाड़ी केन्द्रों से लेकर बड़े विश्वविद्यालयों व शिक्षण संस्थाओं तक प्रभावी कार्य करने की जरूरत है। उन्होनें कहा कि नई शिक्षा नीति से आमजन में भारतीयता का विचार बढ़ेगा। नई शिक्षा नीति में चतुर्षष्टि कलाओं पर बल दिया गया है इससे देश मंे युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा होगंे। इसके साथ-साथ भारतीय कलाओं की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलेगी।
चार दिन तक चलने वाली इस काॅन्क्लेव संयोजक व हरियाणा राज्य उच्च शिक्षा परिषद के अध्यक्ष श्री बी.के कुठियाला ने नई शिक्षा नीति को युगानुकूल और देशानुकूल बताया। उन्होनें कहा कि इस शिक्षा नीति में प्राचीन परंपराओं का ध्यान रखते हुए पुरातन व नया नित्य का समावेश किया गया है। उन्होनें भी सभी शिक्षाविदों से अपील की कि वे पूरे दायित्व के साथ इस नीति का क्रियान्वयन करें। इस डिजिटल काॅन्क्लेव का समापन कार्यक्रम 21 अगस्त को राजभवन में आयोजित होगा, जिसमें सभी विश्वविद्यालयों के कुलपति व शिक्षाविद भाग लेगें।
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