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पराली जलने से होने वाले नुकसान के बारे में बताते हुए, हरियाणा सरकार किसानों को करेगी जागरूक

हरियाणा में राज्य सरकार द्वारा फसलों के अवशेषों के उचित प्रबंधन और आने वाले धान की कटाई के मौसम के मद्देनजर पराली जलाने के दुष्प्रभावों के बारे में किसानों में जागरूकता पैदा करने के लिए बड़े पैमाने पर अभियान चलाए जा रहे हैं।

यह जानकारी हरियाणा की मुख्य सचिव श्रीमती केशनी आनन्द अरोड़ा ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के लिए पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम और नियंत्रण) प्राधिकरण के अध्यक्ष श्री भूरेलाल की अध्यक्षता में फसल अवशेष प्रबंधन के लिए इन सीटू तथा एक्स-सीटू प्रबंधन को लेकर वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से हुई बैठक में दी।

पराली जलने से होने वाले नुकसान के बारे में बताते हुए, हरियाणा सरकार किसानों को करेगी जागरूकपराली जलने से होने वाले नुकसान के बारे में बताते हुए, हरियाणा सरकार किसानों को करेगी जागरूक

इस बैठक में कृषि और किसान कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री संजीव कौशल, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव श्रीमती धीरा खंडेलवाल और बिजली विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री टी.सी.गुप्ता भी शामिल थे। उन्होंने जानकारी दी कि सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे सभी पीले और लाल जोन में आने वाले गांवों पर ज्यादा ध्यान दें। आईईसी (सूचना, शिक्षा और संचार) गतिविधियों जैसे गाँव और खंड स्तरीय शिविरों और समारोहों,

सोशल मीडिया जागरूकता और प्रदर्शन वैन की तैनाती करके बड़े पैमाने पर जागरूकता अभियान चलाये गये हैं। किसानों को इन-सीटू फसल अवशेष प्रबंधन मशीनरी के संचालन और रखरखाव के लिए प्रशिक्षित किया गया है और उनके खेतों में इन-सीटू प्रबंधन तकनीक का प्रदर्शन किया गया। कृषि विभाग द्वारा इन-सीटू फसल अवशेष प्रबंधन के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए प्रमुख स्थानों पर होर्डिंग्स और बैनर भी लगाए गए हैं।

बैठक में बिजली विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री टी.सी.गुप्ता ने बताया कि प्रदेश में अवशेष प्रबंधन के लिए एक्ससीटू माध्यम से लगभग 8 लाख मीट्रिक टन फसल अवशेष प्रबंधन प्रतिवर्ष किया जा रहा है। प्रदेश में बायोमास फसल अवशेष प्रबंधन के लिए 4 बायोमास पॉवर परियोजनाओं को अनुमति प्रदान की गई है जिनमें से कुरुक्षेत्र एवं कैथल में 15-15 मेगावाट की परियोजनाओं पर कार्य चल रहा है।

इससे लगभग साढ़े तीन लाख मीट्रिक टन फसल अवशेषों का प्रबंधन किया जा सकेगा। इसके अलावा, जींद तथा फतेहाबाद 9.9 मेगावाट की परियोजनाओं पर जल्द ही शुरू किया जाएगा। प्रदेश में अब तक संपीडि़त जैव गैस (कंमप्रेस्ड बायो गैस) के 353.56 टन प्रतिदिन क्षमता के 66 आशय पत्र ऑयल कंपनियों को जारी किए गए हैं। इन प्लांटों के लगाए जाने से प्रतिवर्ष 22 लाख मीट्रिक टन की फसल अवशेष प्रबंधन हो सकेगा।

उन्होंने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के तहत गैर-बासमती उत्पादकों को फसल अवशेष प्रबंधन के लिए सात दिनों के भीतर 100 रुपये प्रति क्विंटल की दर से प्रोत्साहन भी दिया जा रहा है। राज्य सरकार ने पर्याप्त मशीनें और परिचालन लागत के रूप में 1,000 रुपये प्रति एकड़ प्रदान करके, गैर-बासमती तथा बासमती की मूच्छल किस्म उगाने वाले छोटे और सीमांत किसानों की मदद की है। इन दोनों उद्देश्यों के लिए, राज्य सरकार द्वारा राज्य बजट में पहले ही 453 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।

बैठक में कृषि और किसान कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री संजीव कौशल बताया कि प्रदेश में भूजल संरक्षण करने की दिशा में ‘मेरा पानी,मेरी विरासत’ योजना को लागू किया गया है जिसमें खरीफ-2020 के दौरान फसल विविधिकरण योजना के तहत 40 मीटर से नीचे पहुंचे भूजल स्तर से प्रभावित खंडों में किसानों को धान की जगह कम पानी से पकने वाली मक्का, बाजरा, कपास, दलहन और बागवानी फसलें बोने के लिए प्रोत्साहित किया गया है।

इस योजना के तहत राज्य सरकार द्वारा 7,000 रूपए प्रति एकड़ देने का वादा किया गया है, जिसमें 2,000 रुपए की पहली किस्त फसल के सत्यापन के बाद और शेष 5,000 रूपए फसल की पकाई के समय दिये जायेंगें। इसके लिए प्रदेश का अब तक 40,960 हैक्टेयर क्षेत्र सत्यापित किया जा चुका है।

इन क्षेत्रों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर शत-प्रतिशत खरीद की जायेगी। इसके अलावा, सब्जियों की खरीद के लिए भावान्तर भरपाई योजना चलाई जा रही है। फसल अवशेष प्रबंधन (सीआरएम) स्कीम के तहत जिला में फसल अवशेष प्रबंधन के 9 प्रकार के कृषि यंत्रों पर अनुदान के लिए ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किए गए हैं। वर्ष 2020-21 के लिए 820 कस्टमर हायरिंग सेंटर तथा 2741 व्यक्तिगत उपकरण दिए जाने का लक्ष्य रखा गया है।

Avinash Kumar Singh

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Avinash Kumar Singh
Tags: kisan

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