विधायिका सीमा त्रिखा की 53वी वर्षगांठ पर, जानिए संघर्षों से भरे जीवन के कुछ तथ्य

विधायिका सीमा त्रिखा की 53वी वर्षगांठ पर :- जनसेवा की बातें करके सत्ता में आना जितना आसान होता है उतना ही कठिन सत्ता में आने के बाद अपने पद पर काबिज कहना और अपनी जनता का भरोसा जीत पाना होता है। जनता का भरोसा उसी आधार पर जीता जाता है

जिस आधार पर एक नेता तन मन धन से जनसेवक में कार्यरत रहता है। इसका एक ताजा उदाहरण बड़खल विधायिका सीमा त्रिखा के रूप में लिया जा सकता है। जिन्होंने न सिर्फ अपने पद पर काबिज रहकर जन सेवा का कार्य किया बल्कि जनता में जनसंपर्क साथ उनका भरोसा जीतने में कामयाब हुई है।

विधायिका सीमा त्रिखा की 53वी वर्षगांठ पर :- जनसेवा की बातें करके सत्ता में आना जितना आसान होता है उतना ही कठिन सत्ता में आने के बाद अपने पद

आज बड़खल विधानसभा की विधायिका सीमा त्रिखा का 53 वा जन्म दिवस है,,,आज हम इस आर्टिकल की माध्यम से आपको आप की विधायिका सीमा त्रिखा के बाबत महत्वपूर्ण जानकारी और उनके जीवन से जुड़ी कथनी के विषय में पूर्ण में जानकारी देंगे।

सीमा त्रिखा का जन्म 31 अगस्त 1966 को हुआ था। इसके मुताबिक आज विधायिका पूरे 53 वर्ष की हो गई है। इन वर्षों में उन्होंने जनता के बीच में हैकर जहां उनका भरोसा और प्यार पाया वही अपनी सत्ता पर काबिज होने के लिए उन्होंने बेहद संघर्ष में किया है।

विधायिका सीमा ने बीए, एमएएलएलबी पीजी डिप्लोमा इन कंप्यूटर्स किया है। वही उनके पति का नाम अश्वनी त्रिखा है, जिन्होंने बीकॉम एलएलबी पीजी डिप्लोमा इन पीएमआईआर में किया है। सीमा त्रिखा की एक बेटी है जिनका नाम निशा है उन्होंने बी ए. मास कम्युनिकेशन एंड एलएलबी किया है। विधायिका एक पंजाबी क्षत्रिय परिवार से ताल्लुक रखती है।

उन्होंने 15 साल अलग-अलग स्कूलों में एक अध्यापक की भूमिका अदा की है। सन 2005 से 2010 में उन्होंने मुंसिपल कॉरपोरेशन फरीदाबाद में एक काउंसलर की भूमिका अदा की थी।

वही उन्होने 2009-10 में महिला मोर्चा बीजेपी की महिला अध्यक्ष चुना गया था। 2010-12 में उन्होंने जिले की जनरल सेक्रेटरी बीजेपी फरीदाबाद का किरदार निभाया था। 2012 में उन्हें बीजेपी महिला मोर्चा हरियाणा प्रदेश की वाइस प्रेसिडेंट बनाया गया था।

2014 में उन्होंने विधायक के चुनाव लड़े थे। जिसमें उन्हें बहुमत के साथ अपने विपक्षी को हराया था, जिसके बाद उन्हें बढ़खल विधायिका का खिताब दिया गया था। 2019 में हुए विधायक के चुनाव में भी उन्हें एक बार फिर अपनी कुर्सी पर काबिज रहने का मौका दिया गया। ऐसा इसलिए क्योंकि जनता ने विधायिका के विकास कार्य को देखते हुए उन पर भरोसा जताया और एक बार फिर उन्हें अपनी विधायिका के रूप में चुना।

Avinash Kumar Singh

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