फरीदाबाद में यूँ तो अनेकों आकर्षण केंद्र हैं, लेकिन बड़खल झील और सूरजकुंड दुनिया में विख्यात हैं। देश के कई हिस्सों में झीलें सूख गई हैं, भूमिगत जल स्रोत खत्म हो चुका है, लाखों लोग पीने के पानी के एक-एक बूंद के लिए तरस रहे हैं। जिले में प्रशासन की अनदेखी के कारण अरावली क्षेत्र में लगातार अवैध निर्माण हो रहे हैं। अवैध निर्माणों के कारण यहां बेहेने वाली प्राक्रृतिक झीलें सूख चुकी हैं।
सूरजकुंड का नाम जितना खूबसूसरत उस से कही अधिक यह जगह खूबसूरत है। 2003 में सूरजकुंड के निकट एक पीकॉक झील हुआ करती थी जिसमें भरपूर पानी रहता था। वे पानी इतना अधिक हुआ करता था कि मानों प्रकृति ने सभी खूबसूर्तियाँ सूरजकुंड में दे दी हैं।
अरावली में लगातार हुए अवैध निर्माणों के कारण और प्रशासन की अनदेखी के कारण पीकॉक लेक आज जंगल में बदल गई है। जिस जगह कभी पानी भरा होता था आज इस जगह झाड़ियां उग गई हैं। बड़खल झील समेत सूरजकुंड किसी समय फरीदाबाद का सबसे आकर्षित पर्यटक स्थल हुआ करता था। लेकिन आज स्थिति ऐसी है कि लोग यहां आने में भी डरते हैं।
हरियाणा सरकार समेत फरीदाबाद प्रशासन ने यहां की प्रकृति की बहुत अनदेखी की है। 2003 में सूरजकुंड में भी लबालब जल भरा रहता था। बड़खल झील के सूखने के बाद बेनूर हुए पर्यटन स्थल की रौनक वापस लौटाने के लिए लाखों रुपये खर्च कर बनाई गई कृत्रिम झील भी पर्यटन निगम के काम नहीं आई है।
फरीदाबाद प्रशासन के अधिकारीयों ने कभी अरावली में अवैध निर्माणों के खिलाफ कोई कार्यवाई नहीं की, इसका नतीजा आज सभी भुगत रहे हैं। पीकॉक झील के साथ – साथ सूरजकुंड वाले स्थान पर 2003 तक एक या दो निर्माण हुआ करते थे। लेकिन आज की तस्वीर एकदम अलग है। एनसीआर के लिए जीवनदायिनी कहे जाने वाली अरावली के सीने पर फॉर्म हाउस पर फॉर्म हाउस बनते चले गए और वन विभाग सोया रहा।
गत वर्षों में देखा जाए तो अरावली में हज़ारों अवैध निर्माण हुए हैं। प्रशासन की तरफ से अदालत के सामने अपना साफ चेहरा दिखाने के लिए कभी-कभी एक-दो फॉर्म हाउस की दीवार पर बुलडोजर चला दिया गया। इससे साफ है कि वन अधिकारियों की उदासीनता या मिलीभगत से ही सैकड़ों फॉर्म हाउस बने लेकिन एक के खिलाफ भी कभी इसे लेकर कार्रवाई नहीं की गई।
फरीदाबाद की खूबसूरती और सासें लूटने वालों के खिलाफ प्रशासन के अधिकारिओं ने कोई सुध नहीं ली। सूखी झील को देखकर आसमान के चेहरे पर गहरी बेचैनी है, सतह का चेहरा भी रूखा है, बिवाई की तरह फटा हुआ। जिस झील का पानी पालता था पूरा शहर वही झील आज अपनी प्यास में छटपटाती है।
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