प्रधानमंत्री बीमा योजना किसानों को खास रास नही आ रही है खरीद के दौरान पिछले वर्ष के मुकाबले 418 किसानों ने बीमा कम कराया है इससे अंदाजा लगाया जा सकता है सरकार की यह योजना किसानों के लिए ज्यादा फायदेमंद साबित नहीं हो रही है
खरीफ की फसल में हर वर्ष सरकार 4 फसलों का प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत बीमा करती है इस वर्ष भी सरकार ने धान कपास बाजरा मक्का को बीमा करने के लिए चुना है
पिछले वर्ष तक सरकार उन किसानों की फसलों का बीमा करती थी जो किसान क्रेडिट कार्ड योजना के अनुसार बैंकों से या फिर प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों से फसली ऋण लेते थे
ऐसे किसानों की फसल का बीमा करने के लिए सरकार उनके खाते से बिना किसान की सहमति के प्रीमियम काटने की थी इस बार सरकार में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के नियम में परिवर्तन कर दिया है सरकार ने किसानों के खातों से प्रीमियम नहीं काटा है
किसान की स्वेच्छा से फसल का बीमा कराने के लिए छोड़ दिया है पिछले कई वर्ष सरकार ने करी 4300 किसानों का खरीद के दौरान फसल बीमा किया था इस बार 822 किसानों ने स्वेच्छा से अपनी फसल का बीमा कराया है
जो पिछले वर्ष के मुकाबले 418 किसान कम है प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से किसानों का मोहभंग होने का कारण फसल नुकसान का मुआवजा 2 वर्ष तक ना मिलना है जितने किसान फसल के नुकसान की शिकायत कृषि एवं किसान कल्याण विभाग में करते हैं
मुआवजा उनमें से आधे किसानों को भी नहीं दिया जाता किसान अपने मामले को लेकर अधिकारियों के चक्कर काटते रहते हैं बैंक भी प्रीमियम तो काट लेते हैं लेकिन बीमा कंपनी के पास प्रीमियम जमा नहीं कराते थे वही जब
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