भारत देश में कोरोना अपने पैर पसार चुका है यह किसी को भी अपनी जद में ले रहा है। लेकिन लोगो में भ्रम है कि कोरोना एक उम्र वाले लोगो पर हावी हो रहा है लेकिन सच यह है की कोरोना की चपेट में कोई भी आ सकता है
यानि की कोरोना मात्र बुजुर्गो को होगा यह सोच बदलनी होगी यह युवाओ के लिए भी उतना ही खतरनाक है। हालांकि यह कहा जा सकता है की युवाओ की कोरोना से मौत कम हो रही है। लेकिन उसके बाद भी कुछ ऐसे मामले सामने आ रहे है जैसे कि सोमवार को एम्स के 25 साल के युवा डॉक्टर विकास की मौत कोविड की वजह से हो गई।
इसी तरह पिछले महीने अंबेडकर हॉस्पिटल के 27 साल के डॉक्टर जोगिंदर की मौत हो गई और लखनऊ में 30 साल के एक युवा पत्रकार की भी मौत कोरोनावायरस से हुई है कि युवाओं को भी इससे बचाव उतना ही जरूरी है जितना कि बुजुर्गो की ।
एम्स के मेडिसिन विभाग के डॉ नीरज निश्चल ने कहा कि दुनिया में इस वायरस को आए लगभग 1 साल होने वाला है लेकिन इसे लेकर कोई दावा करना अभी भी असंभव है सच तो यह है कि वायरस युवाओं के लिए भी उतना ही जानलेवा हो सकता है।
डॉक्टर नीरज ने युवाओं में रिस्क फेक्टर होते हैं जसमे सबसे बड़ा खतरा स्मोकिंग है इसी प्रकार लाइफस्टाइल रहन-सहन खानपान पर भी निर्भर करता है कई जेनेटिक फैक्टर भी हो सकते हैं और कई अन्य फैक्टर है।
इस वायरस के प्रति युवाओं को उतना ही अलर्ट रहना है जितना कि एक बुजुर्ग और बीमार और कोमोरविड मरीज को रहना है मैक्स के इंटरनल मेडिसिन के डॉक्टर ने कहा कि अगर कोई ऐसा सोच रहा है कि यह वायरस युवाओं के लिए खतरनाक नही है तो यह है गलत है ।
पूरे देश में ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं यह कहा जा सकता है कि युवाओं की संख्या कम है लेकिन वायरस सिवियरिटी उतनी ही है यह वायरस युवा डॉ के लिए ज्यादा खतरनाक हो सकता है क्योंकि डॉक्टरों में वायरल लोड ज्यादा होता है मरीज के सीधे संपर्क में होते हैं इससे उन्हें ज्यादा खतरा होने की आशंका होती है
वायरस खून को थक्के में बदल देता है राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के डॉक्टर अजीत जैन ने कहा कि यह फ्रॉम बुटीक वायरस है जो लंग की छोटी-छोटी खून की नली में पहुंचकर ब्लड को थक्के में बदल देता है जिससे ब्लॉकेज बन जाते हैं जिसकी वजह से सांस लेने में दिक्कत होने लगती है
ऑक्सीजन का स्तर कम होने लगता है डॉ अजीत ने कहा कि डेंगू हेमरेजिक वायरस है खून को पतला कर देता है ब्लीडिंग का खतरा हो जाता है उससे उल्टा यह वायरल खून को जमा देता है यह किसी भी अंग में पहुंच सकता है और उसे प्रभावित कर सकता है
फिर चाहे आप युवा ही क्यों ना हो डॉ अजीत ने कहा कि युवाओं में कॉम्प्लिकेशन कम होता है और बुजुर्गों में ज्यादा है और उन्हें कोई बीमारी नहीं है तो अगर एक तरफ नॉर्मल कोरोना बुजुर्ग मरीज हो दूसरी तरफ अन्य किसी बीमारी ग्रसित युवा है तो युवा को ज्यादा परेशानी हो सकती है किसी और अन्य बीमारी से ग्रसित नही हो या बीपी या डायबिटीज की दिक्कत है तो ऐसे में आप भी इसकी चपेट में आ सकते है चाहे आप युवा है कि आप उसमें नहीं है लेकिन आप लापरवाही तो आपकी वजह से आपके घर के बुजुर्ग भी संक्रमित हो सकता है
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