भारत से चीन की हालत हुई पतली, इसलिए ही चीन ने किया ऐसा, दरअसल जैसा लगातार भारत और पाकिस्तान के साथ होता रहा है और नितदिन नापाक पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज़ नहीं आता है। लगभग ठीक उसी तरह अब चीन की तरफ से हरकतें हो रही हैं और लगातार हो रही हैं।
लेकिन कहीं ना कहीं ड्रैगन को ये समझ में भी आ चुका है कि किसी भी स्तर पर भारत के साथ भिड़ा नहीं जा सकता है। चीन ये भी जानता है कि ये 1962 वाला भारत नहीं है और नाहीं उस तरह की राजनीति है। इस समय तो लगातार चीन अन्य देशों के सामने भी बहुत तुच्छ हो चला है क्योंकि जबसे कोरोना की मार शुरू हुई है और इसकी शुरूआत ही चीन के वुहान से हुई इस तरह की बात निकली लेकिन चीन ने इसे नहीं स्वीकारा।
फिर वल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन यानी डब्ल्यूएचओ की तरफ से भी चीन की ही तरफदारी की खबरें सामने आईं थी, उससे भी बहुत स्थितिया चीन की ही ख़राब हुई हैं और ऐसे में अब चीन लगातार दुनिया में अलग-थलग होने लगा है। अब इससे चीन के सामने संकट की स्थिति आ गई है। कहीं ना कहीं चीन चाहता है कि अगर उसे लेकर भारत का रूख नरम हुआ तो ही उसकी इज्ज़त हो सकती है।
बतादें कि दोनों देशो के बीच हुई मुलाकात के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीनी समकक्ष जनरल वेई फेंगही साफ़ तौर पर कह दिया था की उन्हें LAC का सख्ती से सम्मान करना चाहिए और परिस्थितियों को काबू करना चाहिए।
बतादें की राजनाथ सिंह से मिलने के लिए चीनी रक्षा मंत्री वेई फेंघे को काफी समय लग गया था। खबरों की मानें तो बताया जा रहा है कि चीनी रक्षा मंत्री वेई काफी समय से भारत से बातचीत करना चाहते थे और इस दौरान वो ये मौका नहीं खोना चाहते थे और जब उनसे राजनाथ सिंह नहीं मिल पाए थे तब उन्होंने उनसे मिलने के लिए उनके होटल तक जाना पड़ गया।
जब वेई राजनाथ सिंह से मिलने पहुंचे को राजनाथ सिंह ने उन्हें कहा कि पैंगोंग झील समेत गतिरोध वाले सभी बिंदुओं से सैनिकों की यथाशीघ्र पूर्ण वापसी के लिए चीन को भारतीय पक्ष के साथ मिलकर काम करना चाहिए। आप की जानकारी के लिए बता दें कि यह बैठक आठ राष्ट्रों के शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के रक्षामंत्रियों की बैठक के इतर हुई।
इस बैठक के दौरान राजनाथ सिंह ने वेई को खुले तोर पर यह कह दिया था की “अपनी एक इंच जमीन नहीं छोड़ेगा” और देश की रक्षा करने के लिए वह सभी मुसीबतो की डट कर सामना करने को तैयार है
इस पर वेई राजनाथ सिंह से मिलने पहुंचे को राजनाथ सिंह ने उन्हें कहा कि पैंगोंग झील समेत गतिरोध वाले सभी बिंदुओं से सैनिकों की यथाशीघ्र पूर्ण वापसी के लिए चीन को भारतीय पक्ष के साथ मिलकर काम करना चाहिए। आप की जानकारी के लिए बता दें कि यह बैठक आठ राष्ट्रों के शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के रक्षामंत्रियों की बैठक के इतर हुई
इस बैठक के दौरान राजनाथ सिंह ने वेई को खुले तोर पर यह कह दिया था की “अपनी एक इंच जमीन नहीं छोड़ेगा” और देश की रक्षा करने के लिए वह सभी मुसीबतो की डट कर सामना करने को तैयार है इस दौरान चीन द्वारा लगये गए आरोपों को सिंह ने मुँह तोड़ जवाब दिया था और उनके द्वारा लगाए गए आरोपों का पर्दा फास किया ।
उन्होंने बताया की चीन इस बात चित से इस वजह से उत्सुक था क्योंकि अगस्त महीने में भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा पैंगोंग इलाके में रणनीतिक बिंदुओं और ऊंचाइयों पर कब्ज़ा किया गया था। इस मीटिंग के दौरान रक्षा मंत्री ने आगे बात करते हुए कहा कि वो नहीं चाहते कि अब विवाद आगे बड़े और चीन को भी सारे नियमों का पालन करना चाहिए और इस परिस्थिति को एक तरफ़ा नहीं दिखाना चाहिए।
राजनाथ सिंह ने आगे कहा कि ऐसे समय में राजनयिक और सैन्य माध्यम, दोनों ही तरीके से बात करनी चाहिए और माहौल को काबू में रखना चाहिए। इसके जवाब में चीनी रक्षा मंत्री ने कहा कि चीन भी इस मामले को शांति से सुलझाना चाहते हैं।
कुल मिलाकर अब चीन को भी ये लगने लगा है कि राजनैतिक और अन्य माध्यमों से चीन लगातार नीचे ही गर्त में जा रहा है। और अब चीन के होश ठिकाने इसलिए भी लग गए हैं क्योंकि चीन अब चारों ओर से घिरता चला जा रहा है। इसलिए अब चीन के पास भारत के साथ के अलावा किसी और का साथ नहीं मिल सकता है।
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