जहां एक तरफ सरकार नए नए नियम लागू कर बिजली उपभोक्ताओं को राहत देने का प्रयास कर रही है। वहीं इसके विपरीत बिजली उपभोक्ता सरकारी बिजली कंपनियों को घाटे में डाल रही है। जिसमें अभी तक हरियाणा के 28 लाख से भी अधिक उपभोक्ताओं ने सरकारी बिजली कंपनियों डिस्कॉम (उत्तरी एवं दक्षिणी हरियाणा बिजली वितरण निगम) के 7400 करोड़ रुपये दबा रखे हैं।
नहीं सबसे हैरान करने वाली बात है कि इन सब प्रक्रियाओं में ग्रामीण उपभोक्ता सबसे आगे हैं, वहीं सरकारी महकमे और औद्योगिक इकाइयां भी पीछे नहीं हैं।
बताते चलें कि अभी भी सरकारी महकमों ने ही बिजली विभाग का 642 करोड़ रुपये का बकाया अभी देना है। इस तरह के सरकारी डिफाल्टरों की सूची बढ़ती जा रही है। जिसे लेकर सरकार और बिजली निगम गंभीर हैं।
बिजली निगम इन बकायादारों से वसूली करने का प्रयास जारी रखे हुए हैं। वहीं बिजली मंत्री चौधरी रणजीत सिंह चौटाला भी बिजली पंचायतों के जरिए उपभोक्ताओं से अपनी बकाया राशि चुकाने का आग्रह कर रहे हैं।
मौजूदा परिस्थितियों के चलते इन पंचायतों को कुछ समय के लिए टाला गया है। बिजली निगम बकायादारों के खिलाफ सख्ती भी कर रही है। जिसके चलते 5 लाख से अधिक बिजली उपभोक्ताओं के कनेक्शन काटे गए, जिन पर बकाया 2600 करोड़ से अधिक बिजली बिल का बकाया है।
दरअसल, सरकारी की नीतियां और निगम के प्रयासों के चलते करीब पंद्रह सालों बाद वर्ष 2017 में हरियाणा की बिजली कंपनियां फायदे में आई थीं। हालांकि इस साल कोरोना काल में बिजली कंपनियों को खासा नुकसान भी झेलना पड़ा है। मगर फिर भी बिजली निगम बिगड़ी परिस्थितियों को संभालने में जुटा हुआ है।
ऐसे में इन बकायादारों से यदि वे राशि वसूल हो जाती है, जो काफी समय से दबी हुई है। तो बिजली कंपनियों का फायदा हो सकता है। इससे जाहिर है जब बिजली कंपनियां फायदे में होंगी, तो न केवल उपभोक्ताओं को और सुचारू बिजली सप्लाई मिलेगी, बल्कि महंगी बिजली का बोझ झेलने की संभावनाएं भी कम ही रहेंगी।
बकायादार शहरी बिजली उपभोक्ताओं की स्थिति यदि देखें तो 6.5 लाख उपभोक्ता ऐसे हैं, जिन पर 900 करोड़ रुपये बकाया है। इनमें से 1.26 लाख उपभोक्ताओं का कनेक्शन काटा जा चुका है। 15 लाख से अधिक ग्रामीण उपभोक्ताओं ने 3400 करोड़ दबा रखे हैं। 2.6 लाख उपभोक्ता का कनेक्शन काटा जा चुका है। 3 लाख कृषि उपभोक्ताओं ने भी 170 करोड़ रुपये बकाया देना है।
इनमें से भी 25500 उपभोक्ताओं का कनेक्शन काट दिया गया है। गैर घरेलू (व्यवसायिक प्रतिष्ठान, संस्थान व दुकानें इत्यादि) 3.13 लाख उपभोक्ताओं ने भी 800 करोड़ से अधिक बकाया अभी चुकाना है। ऐसे 76 हजार उपभोक्ताओं के कनेक्शन काटे गए हैं। 62 हजार इंडस्ट्रीज ऐसी हैं,
जिनपर 1500 करोड़ से अधिक बकाया है। इनमें से भी 19 हजार कनेक्शन काटे जा चुके हैं। सरकारी महकमों के अंतर्गत 29 हजार से अधिक उपभोक्ता ऐसे हैं। जो बिजली कंपनियों के 642 करोड़ के बकायादार हैं। इनके भी 2700 से अधिक कनेक्शन काटे जा चुके हैं। बिजली महकमे के एक आला अफसर के अनुसार कनेक्शन उन्हीं उपभोक्ताओं के काटे गए हैं, जिनपर काफी समय से बकाया है।
बिजली बकाया की वसूली के लिए सरकार सख्ती के साथ-साथ जागरूकता का सहारा भी ले रही है। इसके लिए बिजली पंचायतों का सिलसिला फिर से शुरू किया जाएगा।
बिजली मंत्री रणजीत सिंह चौटाला ने बताया कि गोहाना और हिसार में बिजली पंचायतें लगाकर लोगों को बकाया बिलों की वसूली के लिए जागरूक किया गया था। जिसके अच्छे परिणाम भी आए। मगर कोविड-19 के चलते बीच में यह स्थगित रही।
मगर अब इन्हें फिर से शुरू करने की प्लानिंग की जाएगी। बिजली उपभोक्ता इस बात को समझें कि सरकार उन्हें 24 घंटे सुचारू बिजली देने के लिए प्रतिबद्ध है। ऐसे में उनकी भी जिम्मेवारी बनती है कि वे भी बिजली बिलों की समय पर अदायगी करें। जो पैसा आएगा, उससे सरकार बिजली व्यवस्था को और बेहतर बनाने पर ही काम करेगी। इसलिए बकायादार खुद आगे आकर अपना बिजली का बकाया चुकाएं।
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