इनेलो के प्रधान महासचिव एवं विधायक अभय चौटाला ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार ने लॉकडाऊन के दौरान तीन कृषि अध्यादेश तैयार किए। ये ऐसे बिल थे जिस से हर पार्टी के लोग जुड़े हुए हैं, चाहे वो भाजपा हो या अन्य विपक्षी दल, जो खेती से जुड़े हैं और गांव की पृष्ठभूमि से आते हैं और देश की 70 फीसदी अबादी खेती पर निर्भर करती है। केंद्र सरकार को इन अध्यादेशों को लेकर कैसे किसान का भला हो, कैसे उसका फायदा हो इसके लिए अन्य दलों के साथ बैठ कर विचार करना चाहिए था। उन्होने कहा कि कोरोना से तो पता नहीं कब और कौन मरेगा लेकिन इस बिल से तो खेती करने वाले किसानों के डैथ वारंट पर दस्तखत कर दिए हैं। किसान अन्नदाता है जहां वो भूखे रह कर लोगों का पेट भरता है वहीं उसके घर में पैदा हुआ बच्चा देश की रक्षा भी करता है। हमें वहां भी मरवाया जाता है और यहां भी मारने की कौशिश की जा रही है।
प्रदेश का मुख्यमंत्री कहता है कि मैं भी किसान का बेटा हूँ और अगर ये अध्यादेश किसानों के खिलाफ होते तो मैं पहला व्यक्ति होता जो इसका विरोध करता इस पर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए कहा कि अगर वो किसान पुत्र होते तो किसानों पर लाठीचार्ज नहीं होता। मुख्यमंत्री किसानियत की बात करते हैं लेकिन वो भूल गए उस हैवानियत को जो 10 सितंबर को किसानों पर लाठियां बरसा कर की थी। किसान तो एकत्रित हो कर अपनी बात प्रदेश के मुख्यमंत्री के कानों तक पहुंचाने आए थे कि आप हमारे साथ गलत कर रहे हो और आप की जिम्मेदारी बनती है कि केंद्र से आए ऐसे किसी अध्यादेश को लागू नहीं करेंगे।
जजपा द्वारा इस अध्यादेश को समर्थन पर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए कहा कि जजपा के दो मंत्री हैं जो इस अध्यादेश का समर्थन कर रहे हैं लेकिन आठ और विधायक हैं जो अपना समर्थन वापिस लेेंगे। उन्होने कहा कि इनमे चौ0 देवी लाल का एक भी गुण नहीं है, वो तो चौ0 देवी लाल के नाम पर कलंक हैं, जिन्होने उनकी नीतियों को भाजपा के पास गिरवी रख दिया है। उन्होने कहा कि आम लोगों से आप पूछ के देखो तो वो बताएंगे कि ये कितने बड़े चोर और डकैत हैं जिन्होने भाजपा के साथ मिलकर प्रदेश को लूटने का काम किया है।
कांग्रेस द्वारा इन अध्यादेशों के विरोध करने पर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए कहा कि कांग्रेस आज इस पर राजनीति कर रही है। जब मनमोहन सिंह देश के प्रधानमंत्री थे तब यही बिल ये ले कर आए थे लेकिन पारित नहीं करा पाए थे क्योंकि विपक्ष के साथ-साथ तत्कालिन विपक्ष की भाजपा नेता सुषमा स्वराज ने भी भारी विरोध किया था। उन्होने कहा कि कांग्रेस और भाजपा मिले हुए हैं, कांग्रेस ने लोक सभा से वॉक आऊट क्यों किया, इसका मतलब एक ही था कहीं इस बिल के खिलाफ बड़ी वोटिंग ना हो जाए और भाजपा सरकार घिर ना जाए इसलिए हाऊस से बाहर चले गए।
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