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26 गांव के युवाओं द्वारा प्रधान मंत्री एवं मुख्यमंत्री को लिखा गया खून से पत्र

खून से लिखा प्रेम पत्र,यह तो अपने बहुत सुना होगा लेकिन यह सब पुराने जमाने मे ही किया जाता है ।आपको बता दे कि आज बडौली गांव में इतिहास फिर से दोहराया गया है ।आज बडौली गांव में खून से पत्र लिखा गया लेकिन वह पत्र किसी प्रेमिका को नही लिखा गया ,वह पत्र सरकार को लिखा गया है अपनी मांगे मनवाने के लिए।

26 गांव के युवाओं द्वारा प्रधान मंत्री एवं मुख्यमंत्री को लिखा गया खून से पत्र

नगर निगम द्वारा 26 गांव को नगर निगम में लाने का फैसला लिया गया ।इसके विरोध में आज 26 गांव के युवाओं ने खून से पत्र लिखा।और नगर निगम के इस फैसले का विरोध किया।इससे पहले भी कई बार नगर निगम के इस फैसले का विरोध किया गया।
यह हैं गांव

यह हैं गांव

खेड़ी गुजरान, सरुरपुर, समयपुर, नंगला जोगियान, खंदावली, सीकरी, जाजरु, मलेरना, साहूपुरा, चंदावली, मुजैड़ी, मिर्जापुर, नीमका, बड़ाैली, भतौला, खेड़ी खुर्द, खेड़ी कलां, बादशाहपुर, टिकावली, तिलपत, पियाला, फरीदपुर, ददसिया, करौली, रिवाजपुर तथा बिंदापुर शामिल हैं।

फरीदाबाद नगर निगम में पहले से ही जो लगभग 35 गांव शामिल किए हुए हैं उनको भी बाहर किया जाए और इनमें पंचायती सिस्टम लागू किया जाए नगर निगम इनमें कुछ भी काम नहीं करता है और इन गांवों को नर्क बना कर के रख दिया है यही स्थिति मेरे गांव अनखीर में भी है यहां पर सीवरेज सिस्टम को डाले हुए 15 साल हो चुके हैं आज तक चालू भी नहीं किया है मेन हाल टू मेन हाल प्ल प्लगिंग की हुई है और यह लाइन बंद पड़ी हुई है और रही बात सड़कों व गलियों की तो बहुत बुरा हाल है कोई भी आकर देख सकता है पेयजल व्यवस्था बिल्कुल चौपट है सफाई व्यवस्था नाम मात्र की है कूड़ा उठाने वाली जो गाड़ी आती हैं उन पर कबाड़ी चढ़े हुए होते हैं वह अपने मतलब की चीजें पिक कर रहे होते हैं और ड्राइवर उनसे पैसे खा रहा होता है इस तरह की व्यवस्था है चारों तरफ आलम यह है कि यहां पर कोई रहने को तैयार नहीं लेकिन मजबूरी है ।

इंसान जाए भी तो जाए गांव में कोई अपना पार्क नहीं सामुदायिक भवन नहीं बैंक नहीं पोस्ट ऑफिस नहीं स्वास्थ्य केंद्र नहीं कोई भी जरूरत की चीज नहीं है गांव में जो बरसों पुराना सरकारी स्कूल है उसके लिए गांव ने ही अपनी जमीन दी थी उस में कमरों की इतनी दुर्दशा है कि इनकी छत व दीवारें कभी भी गिर सकती है और कोई भी हादसा होने से बच्चों के लिए मुसीबत बन सकती है इसके साथ लगते हुए गांव के जोहड़ की जमीन को भी गांव वालों ने स्कूल को दान दे दिया था लेकिन उसकी हालत वही की वही है ना तो पिछले लगभग 20 वर्षों से उसकी अर्थ फिलिंग की गई है और ना उसको तालाब के रूप में ही विकसित किया गया है इस जगह पर प्रस्तावित पाक और सामुदायिक भवन भी अब तक नहीं बनाया गया है ।

पेयजल व्यवस्था की कोई उचित व्यवस्था नहीं है स्कूल परिसर में लगे हुए पुराने ट्यूबवेल में जो समर्सिबल मोटर फंसी हुई है उसे बाहर निकालने के लिए नगर निगम कोई पैसा लगाने को तैयार नहीं है मुझे लगता है कि फरीदाबाद नगर निगम में जो अन्य गांव बड़खल फतेहपुर चंदीला मेवला महाराजपुर अनंगपुर लकड़पुर दौलताबाद एत्मादपुर भाखरी अजरौंदा बुढेना अनंगपुर डेरी ऊंचागांव रन्हेड़ाखेड़ा सिहि नवादाकोह नंगला गुजरान गाजीपुर गौछी मुजेसर मवई सराय ख्वाजा झाड़सेतली आदि शामिल हैं उनमें भी बनी हुई है अतः यह स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि जिन अन्य 26 गांवों को फरीदाबाद नगर निगम में शामिल करने की बात की जा रही है वह एक केवल कोरा फरेब साबित होगा इन गावों की पंचायती जमीन और उपलब्ध पंचायती फंड पर नगर निगम कुंडली मारकर बैठ जाएगा और विकास कार्यों को बिल्कुल भी नहीं करेगा

Avinash Kumar Singh

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