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पायलट प्रोजेक्ट के आधार पर राज्य के 1100 गांवों में की जाएगी ‘कोविड वाटिका’ स्थापित

हरियाणा के वन मंत्री श्री कंवर पाल ने विभाग के अधिकारियों के साथ-साथ प्रदेश के लोगों से अपील की है कि केन्द्र सरकार द्वारा देश में वन एवं वृक्षों के अधीन क्षेत्र को बढ़ाने के लिए राज्यों को दिए गए वर्ष 2024-25 तक के विजन को पूरा करने में सहयोग करें।


कंवर पाल गत दिनों केन्द्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर द्वारा वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी राज्यों व केन्द्र शासित प्रदेशों के वन मंत्रियों के साथ की गई बैठक के बाद पंचकूला वन भवन में अधिकारियों की बुलाई गई समीक्षा बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे।


बैठक में वन मंत्री को अवगत करवाया गया कि केन्द्र सरकार ने अपने विजन में छ: परियोजनाएं लक्षित की हैं, जिनमें मुख्य रूप से शहरों में नगर वन स्थापित करना, स्कूल नर्सरी स्कीम, 20-सूत्रीय कार्यक्रम के तहत पौधारोपण, देश की 13 प्रमुख नदियों का वनों के माध्यम से संरक्षण, मृदा नमी संरक्षण के लिए लिडार टैक्नोलोजी का उपयोग तथा किसानों को लकड़ी बचने के लिए राष्ट्रीय ट्रांजिट परमिट शामिल हैं।

पायलट प्रोजेक्ट के आधार पर राज्य के 1100 गांवों में की जाएगी ‘कोविड वाटिका’ स्थापित


श्री कंवर पाल ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत अभियान का यह एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम है। राज्य में आगामी तीन वर्षों में कुल वन एवं वृक्षों के तहत क्षेत्र को 7 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत तक करने का लक्ष्य पहले से ही निर्धारित किया गया है।

पायलट प्रोजेक्ट के आधार पर राज्य के 1100 गांवों में ‘कोविड वाटिका’ स्थापित की जाएंगी तथा लगातर हर वर्ष इतने ही गांवों को पौधारोपण के तहत लिया जाएगा। इस वर्ष के वन महोत्सव के दौरान एक करोड़ 30 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है

और लगभग 80 प्रतिशत से अधिक लक्ष्य को पूरा कर लिया है, जो विभाग की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि भी है। कंवरपाल ने कहा कि अब विभाग की जिम्मेवारी बनती है कि हम इस कार्यक्रम को सफल बनाएं तथा हरियाणा इन सभी योजनाओं पर प्राथमिकता के आधार पर कार्य करे तथा समय से पहले पूरा करे।

इस बात की भी जानकारी दी गई कि इस बार पौधारोपण के साथ-साथ पंचायती भूमि पर बाड़ लगाने का कार्य विभाग द्वारा आरम्भ किया गया है और वर्ष 2020-21 के दौरान 272.5 हैक्टेयर क्षेत्र में 1,34,600 पौधे लगाए गये हैं तथा आने वाले वर्षों में इस क्षेत्र को बढ़ाकर 1000 हैक्टेयर क्षेत्र किया जाएगा।


वन मंत्री ने कहा कि हालांकि नदी संरक्षण के तहत राज्य में यमुना व घग्गर दो प्रमुख नदियां हैं और इनके किनारों पर 7.40 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है जो विभाग की सराहनीय पहल है।

इस कार्यक्रम के तहत मुख्य रूप से यमुनानगर, करनाल,पानीपत, सोनीपत, फरीदाबाद व पलवल जिले यमुना नदी में तथा मोरनी हिल्स, पंचकूला, अम्बाला, कैथल, फतेहाबाद व सिरसा जिलों को घग्गर नदी में कवर किया जाएगा।

इसी प्रकार, स्कूल नर्सरी के तहत मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने पहले ही स्कूली बच्चों को पौधारोपण कर उनकी देखभाल करने के लिए प्रेरित करने की योजना वर्ष 2016 से ही आरम्भ की थी और अब एक ऐप लॉच किया गया है,जिस पर विद्यार्थी पौधे के साथ अपनी फोटो अपलोड कर सकता है और हर छ: महीने के बाद उसको प्रोत्साहन राशि भी दी जाती है।


इसी प्रकार नगर वन योजना के तहत यमुनानगर जिले के सढौरा तथा सोनीपत जिले के मुरथल में एक-एक नगर वन विकसित किए गये हैं। अब केन्द्र सरकार की योजना के तहत गुरुग्राम, फरीदाबाद, सोनीपत, पलवल, यमुनानगर के शहरों में लगभग 397 हैक्टेयर क्षेत्र में नगर वन विकसित करने की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार की गई है।

इसी प्रकार, जैव विविधिकरण के तहत कासन, बडख़ल तथा मुरथल में योजनाओं पर कार्य चल रहा है। उन्होंने इस बात की जानकारी दी कि इस बार वन महोत्सव के दौरान ड्रोन के माध्यम से भी बीजारोपण किया। वन मंत्री ने कहा कि दिन-प्रतिदिन बढ़ रहे प्रदूषण के चलते वन क्षेत्र को बढ़ाना तथा प्राकृतिक संतुलन को बनाए रखने के लिए वन्य प्राणियों का संरक्षण व संवर्धन अत्यंत जरूरी है।

हालांकि वन विभाग द्वारा लोगों को वनों के महत्व के प्रति जागरूक करने के लिए हर वर्ष वन महोत्सव एवं वन्य प्राणी सुरक्षा सप्ताह का आयोजन किया जाता है। फिर भी हर वर्ष हर वर्ष मानसून के दौरान मनाए जाने वाले वन महोत्सव पर लोगों को कम से कम दो-दो पौधे लगाने का संकल्प लेना चाहिए।


बैठक में यह भी जानकारी दी गई कि 20-सूत्रीय कार्यक्रम के तहत 7246 हैक्टेयर क्षेत्र में पौधारोपण किया जाएगा। मृदा नमी संरक्षण के तहत शिवालिक वन क्षेत्र में 125 चैकडैम्स बनाए गये तथा 8 चैकडैम्स का कार्य प्रगति पर है। समय-समय पर चैक डैम की गाद निकालने का कार्य भी किया जाता है।


इसी प्रकार, विभाग द्वारा विलुप्त होती वन्य प्राणियों की प्रजातियों के संरक्षण तथा संवर्धन की दिशा में भी ठोस कदम उठाये जा रहे हैं। जिला रेवाड़ी में स्थित झाबुआ आरक्षित वन क्षेत्र में ‘मोर एवं चिंकारा प्रजनन केन्द्र’ की स्थापना की गई है। इसी तरह गिद्धों की घटती संख्या को रोकने के लिए तथा उनकी जनसंख्या को बढ़ाने के लिए भारत का पहला ‘गिद्ध संरक्षण एवं प्रजनन केन्द्र’ पिंजौर में स्थापित किया गया है।

मोरनी स्थित ‘फिजैंट प्रजनन केन्द्र’ में लाल जंगली मुर्गा प्रजाति का सफलापूर्वक प्रजनन करवाया जा रहा है। भिवानी जिले के कैरू गांव में ‘चिंकारा प्रजनन केन्द्र’ तथा भौर सैयदां में ‘मगरमच्छ प्रजनन केन्द्र’ स्थापित किया गया है।


बैठक में प्रधान प्रमुख वन संरक्षक डा0 अमरिंदर कौर, प्रमुख वन संरक्षक श्री बी.एस. तंवर व अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

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