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गंगा के पानी में है एक ऐसा चमत्कारी वायरस, जिसका रहस्य है बहुत गहरा

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हर बात से सिद्ध होती है गंगा की पवित्रता, दरअसल वैसे तो आस्था से जोड़कर इसे देखा गया है। गंगा नदी को मां का दर्जा भी दिया गया है। गंगा नदी की पवित्रता का आंकलन इस बात से भी लगाया जाता है कि इसमें नाहने से सभी के पाप धुल जाते! हैं, दरअसल ऐसा माना जाता है सनातन धर्म के मुताबिक, और कहा ये भी जाता है कि इसका पानी इतना पवित्र है कि ये ना तो सड़ता है, ना इसमें कीड़े पड़ते हैं, ना इस पानी में बदबू ही आती है।

अब ज़रा आप इस बात से ही अंदाज़ा लगाइए कि अगर आप किसी और नदी का पानी या फिर अपने फिल्टर या घर का पानी किसी बोटल या फिर बर्तन में भरकर रखते हैं तो कुछ समय के बाद उस पानी में काई जम जाती है। पानी में बदबू भी आनी शुरू हो जाती है। कीड़े भी पड़ जाते हैं।

sea dawn sunset beach
Photo by Chinta Pavan Kumar on Pexels.com

लेकिन गंगा नदी के पानी में ऐसा कुछ भी नहीं होता है, इसलिए इसे पवित्र माना गया है। और इसी कारण गंगा नदी की पूजा-अर्चना भी की जाती है। आस्था के नाम पर गंगा नदी को गंगा नदी नहीं बल्कि मां गंगा कहा जाता है।

बतादें कि गंगा के पानी में एक ऐसा चमत्कारी वायरस है, जिसका रहस्य बहुत गहरा है। इस बात का आंकलन किया जाता है और रिसर्च करने वाले इस पर अनगिनत बार रिसर्च भी कर चुके हैं। कहने को तो भारत में कई नदियां बहती हैं

sea city man people
Photo by Arti Agarwal on Pexels.com

लेकिन ये बात हम हमेशा से सुनते आ रहे हैं कि लोग अक्सर गंगा के पानी की ही खूबियां बताते रहे हैं। वैसे कुछ लोग आज भी गंगा को सिर्फ एक नदी के रूप में ही मानते हैं और इसी सोच वालों ने गंगा की धारा पर तमाम जुल्म भी किए और कर भी रहे हैं। गंगा में नाले बहाए, लाशें फेंकीं गई, कचरा डाला गया, इन सबके बावजूद गंगा का पानी दूषित नहीं हुआ। वैसे इसके पीछे कई रहस्य छुपे हुए हैं।

हालांकि गंगा का पानी कभी न खराब होने का कारण एक वायरस बताया जाता है। दरअसल, इस नदी में कुछ ऐसे वायरस मिलते हैं, जो इसमें सड़न पैदा होने से रोकते हैं। बतादें कि 1890 के दशक में फेमस ब्रिटिश वैज्ञानिक अर्नेस्ट हैन्किन ने गंगा के पानी पर रिसर्च भी की थी, बताया जाता है कि उस समय हैजा फैला हुआ था। मरने वालों की बॉडी को लोग गंगा नदी में फेंक दिया करते थे।

गंगा के पानी में है एक ऐसा चमत्कारी वायरस, जिसका रहस्य है बहुत गहरा

लेकिन वैज्ञानिक हैन्किन को डर था कि कहीं गंगा में नहाने वाले दूसरे लोगों को भी हैजा अपनी चपेट में ना लेले। लेकिन ऐसा हुआ नहीं, वैज्ञानिक हैन्किन इस बात को लेकर हैरान थे क्योंकि इससे पहले उन्होंने ये देखा था कि यूरोप में गंदा पानी पीने के कारण दूसरे लोग भी बीमारी की चपेट में आ रहे थे।

हालांकि गंगा के पानी का ऐसा जादुई असर देखकर वो हैरान हो गए थे। बतादें कि वैज्ञानिक हैन्किन की इस रिसर्च को बीस वर्ष के बाद, एक फ्रेंच वैज्ञानिक इसे और आगे लेकर गए।

गंगा के पानी में है एक ऐसा चमत्कारी वायरस, जिसका रहस्य है बहुत गहरा

इस वैज्ञानिक ने जब गंगा को लेकर और भी शोध किए तो ये पता चला कि गंगा के पानी में मिलने वाले वायरस, कॉलरा फैलाने वाले बैक्टीरिया में घुलकर उन्हें खत्म कर रहे थे, और इस वायरस की वजह से ही गंगा का पानी शुद्ध रहता था। और इस वायरस के कारण ही नहाने वालों के बीच हैजा जैसी बीमारी ने कोई हानि नहीं की।

गंगा के पानी में है एक ऐसा चमत्कारी वायरस, जिसका रहस्य है बहुत गहरा

अब किसी भी पवित्र काम को और भी पुष्ट करने के लिए गंगा नदी के पानी को ही इस्तेमाल में लिया जाता है। इसे गंगा जल यानी पवित्र जल भी कहा गया है।

सनातन धर्म में हर एक पूजा पद्धति में भी गंगा जल को ही काम में लिया जाता है। और तो और शहरों में यही गंगा नदी का पानी यानी गंगा जल अच्छी कीमत में बिकता है। इसी पवित्र गंगा जल से लोग अपने घरों को भी छींटे मारकर पवित्र करते हैं।

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