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रजिस्ट्री के लिए पड़ रही है बिचौलियों की जरूरत सॉफ्टवेयर ने तोड़ा दम

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हरियाणा की तहसीलों में रजिस्ट्रियों में हुई अनियमितता के बाद जब सरकार ने आनलाइन काम आरंभ किया तो सरकार का सॉफ्टवेयर जवाब दे गया। इस हांफते हुए साफ्टवेयर की वजह से लोगों को रजिस्ट्री के लिए ऑनलाइन अप्वाइंटमेंट (समय) नहीं मिल पा रही हैैं।

कई तहसीलों में ऑनलाइन अप्वाइंटमेंट के बाद भी रजिस्ट्री नहीं हुई। कंट्रोल एरिया में रजिस्ट्रयो के लिए लोगो को परेशानी उठानी पड़ रही है । सॉफ्टवेयर के ठीक से काम ने करने की वजह से रसिस्टरी के लिए मैनुएल तरीक़े से एनओसी लेनी पड़ रही है

रजिस्ट्री के लिए पड़ रही है बिचौलियों की जरूरत सॉफ्टवेयर ने तोड़ा दम

अप्रूव्ड सोसायटी के अलावा कही से भी ऑनलाइन एनओसी नही मिल रही है । ऐसे में नए सिस्टम से रजिस्ट्री प्रकिया शुरू ही नही हो रही है । रजिस्ट्री सॉफ्टवेयर से अभी तक नगर परिषद व टाउन प्लानर की जमीन का डेटा लिंक नही किया जा सकता है । रजिस्ट्रीयां बंद होने से विभाग को रोजाना 50 लाख रुपये का घाटा हो रहा है ।

24 मार्च को शुरू हुए लॉक डाउन के बाद 30 अप्रैल से रजिस्ट्री शुरू की गई । मई और जून और 21 जुलाई तक जमीन का नेचर चेंज कर बड़े पैमाने पर नियमो के खिलाफ रजिस्ट्री की गई । इसके बाद रजिस्ट्री प्रक्रिया सरल और पारदर्शी बनाने के लिए ऑनलाइन अपॉइंटमेंट सिस्टम शुरू किया गया गई ।

इससे प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री करवाने वालों को काफी परेशानी हुई. सरकार ने रजिस्ट्री के लिए 16 विभागों की एनओसी का सिस्टम लागू किया है. इनमें अहम हैं, शहरी स्थानीय निकाय, हुडा और नगर योजनाकार विभाग. इन तीनों विभागों का रिकॉर्ड आपस में मेल नहीं खा रहा है


इसके अलावा तहसील कार्यालय में ऑनलाइन टोकन की कोई व्यवस्था नहीं की गई है. रजिस्ट्री करवाने वाले को खुद ऑनलाइन जाकर या फिर लघु सचिवालय में बैठे बिचौलियों की मदद से ही टोकन लेने होंगे. खास बात ये है कि सरकार के नये सिस्टम के बारे में तहसील कार्योलयों में कोई ट्रेनिंग नहीं दी गई है. हिसार के तहसीलदार को तो यही कहना है.

उनका कहना है कि नये सॉफ्टवेयर के बारे में उन्हें सरकार की तरफ से कोई जानकारी नहीं दी गई है, जो जानकारी मिली है वो समाचार पत्रों के माध्यम से ही मिली है. रजिस्ट्री करवाने को लेकर लोगों के सामने काफी समस्याएं आ रही हैं.

हुडा के सेक्टर को अनअप्रूवड कॉलोनी दिखाया जा रहा है. लोगों की प्रोपर्टी आईडी, उनके आधार कार्ड, प्लॉट साइज, सम्पत्ति मालिक के नाम आदि मैच नहीं हो रहे हैं. इसके कारण रजिस्ट्री के लिए आनलाइन टॉकन नहीं निकल रहे हैं.

बिना प्रापार्टी आईडी टोकन मिलना ही संभव नहीं

आरोप हैं कि सरकार ने हुडा का तीन साल पुराना रिकार्ड ऑनलाइन किया है. ऐसे में प्रॉपर्टी का रिकॉर्ड मैच होना संभव नहीं है. इस बात का सबसे बड़ा उदाहरण है कि हाल ही में नगर निकाय विभागों ने प्रापर्टी के दोबारा सर्वे करवाये तो पहले वाले और नये सर्वे का रिकार्ड ही आपस में मैच नहीं कर रहा. कुछ इलाके तो ऐसे हैं, जिनमें प्रापार्टी आईडी हीं नहीं दी गई हैं.

रिकॉर्ड मैच नहीं करेगा नया सिस्टम कारगर नहीं हो सकता

रजिस्ट्रियां करवाने वाले वकील रमन शर्मा के अनुसार जब तक विभागों का आपस का रिकॉर्ड मैच नहीं करेगा नया सिस्टम कारगर नहीं हो सकता. सरकार ने भ्रष्टाचार रोकने के लिए रजिस्ट्रियां ऑनलाइन करके अच्छा कदम उठाया है मगर नये सिस्टम को न तो पहले सही से जांचा गया, न ही इसकी संबंधित कर्मचारियों को ट्रेनिंग दी गयी और न ही सभी विभागों के रिकॉर्ड को पहले मैच किया गया. ऐसे में जनता को परेशानी के अलावा कुछ हासिल नहीं होने वाला.

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