बेटियों के साथ ही ऐसा क्यों, मन को कचोटने वाली दास्तां हम आपको बताने जा रहे हैं, जिसे सुनकर आपके रोंगटे भी खड़े हो जाएंगे, और आप भी सोचने पर मजबूर हो जाएंगे कि ये संसार कैसा हो गया है। मां का रिश्ता अपने बच्चों के साथ ऐसा होता है जिसकी तुलना किसी से भी नहीं की जा सकती है।
मां अपनी संतान के लिए कुछ भी कर गुज़रती है। मां के लिए संतान सब-कुछ होती है। एक बार को मां अपने आप को भूखा रखकर रह जाती है लेकिन अपनी संतान को भूखा नहीं रहने देती है।
मां अपने बच्चों के लिए वो हर काम करती है जो उसके वश में भी ना हो। ज़मीन पर मां की कोई परिभाषा नहीं गढ़ सकता है, क्योंकि मां एक वो नाम है जिसके बारे में जितना लिखा जाए उतना कम है। मां अपनी संतान की सुरक्षा हरहाल में करती है।
चाहे जो भी संकट आ जाए मां अपनी औलाद के लिए हर संकट से लड़ जाती है। लेकिन यहां जिस स्टोरी को हम आपके सामने बताने जा रहे हैं उसे पढ़कर आप भी कहेंगे कि ऐसा भला क्यों। क्या कोई मां अपनी बेटी को सुरक्षित रखने के लिए ऐसा कोई कदम भी उठा सकती है, ये तो सोच से ही परे निकलकर सामने आया है।
दरअसल ये मामला रूस से सामने आया है। जिसमें मां का प्यार ही बेटी के लिए मुसीबत बन गया। ये मां अपनी बेटी को बाहरी दुनिया की मुश्किलों से दूर रखना चाहती थी। वो नहीं चाहती थी कि उसकी जवान बेटी को कुछ भी हो। कोई उसे बुरी नजर से देखे।
इसलिए इस मां ने 26 साल से अपनी बेटी को घर पर कैद करके रखा था। मां उसे नहाने नहीं देती थी कि कहीं उसकी सुंदरता पर किसी की नजर ना लग जाए। 26 साल बाद लड़की को बुरे हाल में जैसे-तैसे बचाया गया। बतादें कि रूस में रहने वाली तात्याना ने अपनी बेटी को 26 साल तक घर के कमरे में कैद कर रखा था।
इस दौरान ये पेंशनर मां अपनी बेटी को पालतू बिल्ली का खाना खाने को देती थी। तात्याना की बेटी नाडिज़्ह्ड़ा बसहुएवा इस घर में सिर्फ अपनी मां और कई बिल्लियों के साथ रहती थी। उनका घर रूस के अरेफिन्सकी में है। तात्याना ने अपनी बेटी को 16 साल की उम्र से घर में कैद कर रखा था।
घर पर ना बिजली की सुविधा है ना पानी की। अपनी बेटी को बाहर के सारे खतरों से बचाने के लिए तात्याना ने उसे लॉक कर रखा था। हाल ही में जब तात्याना की तबियत खराब हुई, तब उसे अस्पताल में भर्ती करवाया गया। तब जाकर अब 42 साल की बसहुएवा घर से बाहर निकल पाई।
बसहुएवा को तबसे कैद कर रखा गया था जब से उसने हाइ स्कूल पास किया था। उसे आगे पढ़ने भी नहीं दिया गया। बेटी ने भी कभी घर से भागने की कोशिश नहीं की। उसे उसकी मां नहाने भी नहीं देती थी।
बसहुएवा 2006 से नहीं नहाई है। उसके बालों की दुर्गति हो चुकी है। जिस कमरे में बसहुएवा को मां रख़ती थी, वहां कई बिल्लियां भी रहती हैं। बेटी के साथ इस बर्ताव के पीछे बताया गया कि मां नहीं चाहती थी कि उसकी बेटी के साथ बाहर की दुनिया में रेप जैसी घटना ना हो।
अब 26 साल बाद बाहर निकलने के बाद बसहुएवा को समझ ही नहीं आ रहा है कि दुनिया में सर्वाइव कैसे करना है। उसे तो खाना खाने भी नहीं आता है। इतने सालों से वो बिल्लियों के साथ रह रही थी। ऐसे में अब उसे नॉर्मल लाइफ में एडजस्ट होने में समय लगेगा।
जब हमने खुद इस कहानी के बारे में जानकारी ली तो हमारे भी होश उड़ गए थे क्योंकि इस तरह का शायद ये अपने आप में पहला मामला होगा। क्योंकि मां को सुरक्षा करते तो देखा है लेकिन ऐसी सुरक्षा कि उसकी औलाद खुद ही परेशानी में पड़ गई।
ये सवाल मन में आया कि क्या मां के साथ कभी कुछ ऐसा दर्दनाक घटा होगा कि जिसकी वजह से मां को अपनी बेटी को बचाने के लिए ऐसा ठोस कदम उठाना पड़ा। बात कुछ भी हो लेकिन हम तो यही कहेंगे कि हर किसी का इस दुनिया में आना और फिर आकर जाना तय है लेकिन इस सुंदर जीवन का अनुभव तो जीने से ही होता है उसे इस तरह से कैद नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि ये ज़रूरी नहीं कि हर किसी के साथ ऐसी परिस्थिति बन जाए जिससे हम यो तो जीना छोड़ दें या फिर घर में ही कैद हो जाएं। ज़मीन पर आकर सभी को जीने का हक है।